Friday, November 6, 2015

Collection of Riddles for classes 3,4, 5, 6 and 7 with SOLUTIONS/ANSWERS

मैं वैली स्कूल  में पढ़ाती हूँ । यहाँ पर मिडिल स्कूल और हाई स्कूल की कक्षाएँ लेती हूँ । वैली स्कूल में हम पाठ्य पुस्तक का प्रयोग न कर विभिन्न साधनों का प्रयोग कर विभिन्न विषय छात्र-छात्राओं को सिखाते हैं । इसलिए व्याकरण के मुद्दों को सिखाने के लिए हम विभिन्न स्रोतों से सामग्री संकलित करते हैं जिससे छात्र -छात्राएं विषय को अच्छी तरह से समझ सकें । इस ब्लॉग में प्रकाशित कार्य - पत्रिकाएं  और अभ्यास -पत्रिकाएं विभिन्न पाठ्य -पुस्तकों, व्याकरण पुस्तकों और रचनात्मक पुस्तकों  से एकत्रित की गई हैं । यहाँ मैं इस सामग्री को शीर्षक के अनुसार और प्रत्येक कक्षा के स्तर के अनुरूप प्रस्तुत कर रही हूँ । इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विषय -सामग्री पर मैं अपना अधिकार नहीं जमा सकती । मैं इसे संकलित करने का दावा अवश्य कर सकती हूँ । विशेष रूप से यह कि इस विषय सामग्री को एक व्यवस्थित और संगठित ढंग से कक्षा के अनुरूप पढ़ाने और बच्चों को अच्छी तरह से समझाने का दावा कर सकती हूँ । इस विषय सामग्री को अध्यापक और अध्यापिकाओं के साथ-साथ सभी छात्र-छात्राओं के साथ बांटने में मुझे बहुत ख़ुशी है और मैं सभी पुस्तकों और उन्हें लिखने वालों का शुक्रिया करती हूँ कि उन्हीं के कामों को पहले मैंने अपने अध्यापन में प्रयोग किया और अब सबके साथ इसे बांट कर मैं सभी लेखकों के काम को बहुत से लोगों तक पहुंचा रही हूँ । आशा है कि आप सब को मेरा यह प्रयत्न पसंद आएगा और सभी के लिए यह सामग्री उपयोगी सिद्ध होगी ।  

कक्षा तीन और चार के लिए -


उत्तर - १. घड़ी  २. कागज  ३. जूते  ४. रविवार  ५. पर्स  ६. जनवरी  ७. दादा  ८. गाय | 
उत्तर - १. मक्का  २. नारियल  ३. सूरज  ४. तारे | 
उत्तर -१. कुर्सी , २. तितली , ३. मेंढक , ४. जलेबी  ५. पतंग | 
उत्तर - १. आकाश  २. मोर  ३. पेड़   ४. मच्छर  ५. पतंग | 
उत्तर - १. राजा २. जहाज  ३. कुत्ता   ४. माला   ५. परी  (राजकुमारी) 
१. गुलाब  २. चिड़िया  ३. बुढ़िया  ४. रानी  ५. पानी  (गुड़िया रानी ) 
१. हाथी  २. नौकर  ३. चारपाई  ४. दोपहर  ५. पाठशाला   

कक्षा पाँच  ,छ: और सात के लिए - 

उत्तर - १. बन्दर , २. चीता  ३. गधा  ४. जैबरा  ५. सूअर  ६. लूमड़  ७. बाघ | १. सीताफल  २. गोभी  ३. घीया  ४. मूली  ५. करेला  ६. नीबू  ७. आलू  ८. मटर  ९ . करेला  १०. मटर  ११. गोभी  १२. आलू  १३. मटर  १४. कटहल | 
उत्तर - २. शरीफा  ३. चकोतरा  ४. संतरा  ५. पपीता  ६. आम  ७. खिरनी ८. -  ९. जामुन  १०. लीची | १. बरफी  २. जलेबी  ३. गुलाब जामुन  ४. पकौड़ी  ५. समौसा |  

उत्तर - मेरे रोएं से ऊन बनता है- भेड़ | मैं घर की रखवाली करता हूँ - उल्लू | मैं सवारी के काम आता हूँ - घोड़ा | मैं  कुकड़ूँ कूँ बोलता हूँ - मुर्गा | मुझसे तुम लिखते हो - कलम | मैं गुटर गुं बोलता हूँ - कबूतर | मेरे दो हाथ और चार पैर हैं - कुर्सी | मैं चूहे खाती हूँ - बिल्ली | 

उत्तर - गधा , मेंढक , ऊँट , हाथी , मधुमक्खी , पेड़ |
उत्तर -१. गिलहरी  २. बन्दर  ३. कुत्ता  ४. जूता  ५. बिल्ली |
उत्तर - ६. गाय  ७. चीता  ८. मच्छर  ९. बिल्ली |
उत्तर - मैं आटा पीसती हूँ | मैं लिखने के काम आती हूँ | मैं एक लड़का हूँ | मैं मोर हूँ | मैं एक राजा हूँ | मैं मच्छर हूँ |
उत्तर - परछाई , बाल | छाया , गन्ना , साँप |
उत्तर - तारा , मेंढक , छाता | छिपकली , पतंग , मछली | 


उत्तर - मोमबत्ती , छतरी , नारियल , सूरज |
उत्तर - १. मूली  ३. गन्ना  ५. बाल  ७. केले | 
उत्तर - १. गेहूँ  २. ताला  ३. गुलाब जामुन  ४. पंखा  ५. टेलीविजन  ६. मच्छर | 
उत्तर - १. चावल  २. मिर्च  ३. टेलीफोन  ४. नाव  ५. पतंग |
उत्तर - १. संतरा  २. पतंग  ३. गाजर  ४. गिलहरी  ५. चाँद  ६. तितली
उत्तर - छलनी  , तवा | 


उत्तर - पलटा , चाक़ू , रई , कड़ाई | 

उत्तर - सैनिक , समाचार पत्र |
उत्तर - घोड़ा , खरगोश |
उत्तर - १. पतंग २. कुर्सी  ३. -   ४.-    ५. -    ६. गधा  ७. -     ८. शेर  ९. बिल्ली  १०. ऊँट |

उत्तर - हवा , ओला , पेड़ |
उत्तर - अंधेरा , घड़ी , - |
उत्तर -  - , पवन , ताला |

उत्तर - मोटरकार | 

उत्तर - पोस्टकार्ड , पाँच , रुपया | 
उत्तर - श्यामपट , अजगर | 

त्तर - कलम , बादल , लैम्प , तितली , नीबू , मच्छर , सुराही , कौआ | 

उत्तर - हवा , ओला , सूरज | टमाटर , बिजली , कोयल , तरबूज | 
उत्तर - १. हवा २. पसीना   ३. भौंरा  ४. काजल  ५. चक्की ६. आकाश 
उत्तर -मुर्दा , तराजू , प्याज , लौंग , रोटी , बैलगाड़ी , मच्छर , कान | 
उत्तर - शीशा , साँप , सुई , - , चोटी , स्टूल | 
उत्तर - दीपक , हाथ , लट्टू , चाँद और सूरज | 
उत्तर - तबला , अंडा , साइकिल , मच्छर | 
उत्तर - कुली , बढ़ई , अध्यापक , किसान , चौकीदार | 
उत्तर - पंखा , टेलीफोन , पानी , गन्ना , प्रेशर कुकर , हाथी , ऊँट |
उत्तर - बिजली , पेड़ | 
उत्तर - हाथी | 

उत्तर - सूरज , पानी | 
उत्तर - चन्द्रमा | 


उत्तर - पसीना , चक्की , काजल , पतंग , मोर | 
उत्तर - मोमबत्ती , परछाई , पेड़ | 
उत्तर - मुँह , तोता , राष्ट्रीय झंडा | 

उत्तर - चाँद , माँ , फूल , बगुला , पेड़ | 

















१. आकड कोकड दस पैंया 
आँख नटेरे तो मूढ़ नहीं ॥ 

२. कत्था नहीं, सुपारी नहीं 
मुँह कैसे लाल चट 
पानी नहीं कांजी नहीं 
दुबा हरो कच ! 

३. हल्दी जैसी गठान 
चाट चूम लो तो हरे मोरे राम ! 

४. महल के ऊपर महल 
ऐसा कैसा कारीगर 
बिन पानी का बनाए महल । (बया )

५. अम्ब गड़े और खम्ब गड़े 
बसूला जैसी धार 
ऐसे मंदिर कौन गढ़े 
जिनके औंध द्वार ? 

६. आए हो तो बैठिहो , बिन बैठे ने जाओ 
सिरा पाटी छोड़ के , खटिया बिनखे जाओ । 

७. तन्नकसी दुरिया 
चाँद गुटान 
  उठा उठा पटकै 
बड़े बड़े जुवान । 

८. एक कुआ में गल गल ब्यानी 
उसकी तेली बहुत मिठानी 

९. दो गैसों का यौगिक हूँ मैं 
बनकर द्रव मैं बहता हूँ 
नहीं गंध , नहीं स्वाद है मुझमें ,
                 कई रूपों में रहता हूँ ।    (पानी) 


१०. सबके दिल की धड़कन सुनकर 
कानों तक पहुँचाता हूँ । 
बना रहूँ गलहार नर्स का 
                             नहीं वैद्य को भाता हूँ ।        (स्टेथोस्कोप ) 

११. मेरी जान है चाँदी जैसी ,
शीशे का है मेरा बदन । 
आंशकित हूँ पैमाने सा ,
                         नाम बताओ करो जतन ।  (थर्मामीटर ) 

१२. लोहे का है आदमी, 
करता सारे काम । 
खाना कुछ खाता नहीं ,
सुबह हो या शाम । 

१३. जिसकी दहाड़ से जंगल काँपे 
हिरणों पर जो मारे छापे 
बन्दर टपक पड़े पेड़ों से 
तेज़ चाल से धरती नापे 
जिससे हर कोई डर जाता 
               क्या नाम तुम्हें उसका आता ?   (शेर) 

१४. जिसके पेट में थैली होती 
जिसमें वह बच्चे रख लेता 
लम्बी कूद लगाता है वह 
                  भारत में ना पैदा होता ।  (कंगारू) 


१५. जिसकी नाक हो इतनी लम्बी 
सर से लेकर पाँव तलक 
कान सूप से आँख ज़रा सी 
चलता है वह धमक -धमक 
जिसको देख सभी खुश होते 
            बतलाओ उसको क्या कहते ?  (हाथी) 

१६. कूबड़ टेढ़ी , गर्दन टेढ़ी 
टेढ़े उसके पाँव ,
बड़ी पूँछ लिए फिरता है 
खड़ा बबूल की छाँव 
जहाज कहाए रेगिस्तान 
              बतलाओ है कौन-सा प्राणी ।  (ऊँट )

१७. चूने के संग गर्म किया यदि नौसादर 
तो मैं लूंगी जन्म, प्रीस्टले है फादर 
रंगहीन हूँ , गंध तीक्ष्ण है और स्वाद क्षारीय 
भीड़ भागती डरकर मुझसे किन्तु हवा भारी । 

१८. दो गैसों का सम्मिश्रण हूँ 
बतलाओ तुम मेरा नाम 
जग में मुझसे बड़ा न घोलक 
                आता हूँ पीने के काम ।   (पानी) 

१९. ठंडी लाल दवा पर पड़ता 
जब -जब सांद्र नमक का अम्ल 
तब -तब मैं पैदा होती हूँ 
करें परीक्षण जिनमे अक्ल । 
रंग हरा -पीला है मेरा 
है आदत जीवाणु विरोधी । 

२०. एक सुनहरा चिकना पत्थर 
संग छूते तो जाए मर । 
देखो तन की मूरत इसमें 
पहचानो निज मन का मरमर ! 

२१. एक सींग की ऐसी गाय 
जितना दो उतना ही खाए । 
खाते-खाते गाना गाए 
पेट नहीं उसका भर पाए ! 

२२. एक लाठी की सुनो कहानी 
                  छुपा है जिसमें मीठा पानी ।   (गन्ना) 

२३. पंख नहीं पर उड़ती हूँ 
                    हाथ नहीं पर लड़ती हूँ ।  (पतंग ) 

२४. एक चीज़ ऐसी कहलाए 
हर धर्म का आदमी खाए । (हवा)

२५. दो हाथ की हूँ मैं रानी 
टाँग हिलाकर बोलूँ वाणी । 

२६. हाथ में लीजे देखा कीजे । (शीशा ) 

२७. टंगस्टन की पसली मेरी 
बनी काँच की काया ,
एडीसन है पिता हमारे 
            मैंने घर धमकाया । (बल्ब) 

२८. मैकमिलन की एक सवारी 
      गाँव गाँव हरेक को प्यारी । 

२९. मेरी सीटी रेल इंजन सी 
दाब का जादू दिखाता हूँ ,
रहता हूँ रसोई में 
                        खाना मिनटों में बनाता हूँ । (प्रेशर कुकर ) 

३०. दिन भर  चलता रहता हूँ 
तिल भर चल नहीं पाता  हूँ ,
खुद तो भूखा रहता हूँ 
               सबको हवा खिलाता हूँ ।  (पंखा ) 

३१. मेरे महल में दस 
उंगुली डाल घुमाओ जी 
जिससे चाहे बात करो 
                   अपना हाल सुनाओ जी । (टेलीफोन ) 

३२. जहाँ यातायात की चुंगी ली जाए 
      जिसकी एक आँख हो । (नाका)

३३. एक उत्तम दलहन 
              नृत्य बोलचाल की भाषा में । (चना ) 

३४. भीगा, गीला । 
                  मग्न , काम में डूबा हुआ । (नील) 

३५. एक रंग का नाम । 
रास्ता ।  (हरा) 

३६. रस्सी पर करतब दिखाने वाला । 
मात्रा की इकाई ।  (नट ) 

३७. शरीर । 
झुका हुआ । (तन ) 

३८. हवा का दूसरा नाम ।  
रोटी इसके बिना भी आंच में पक सकती है । 

३९. सतह, मोड़ना । 
घायल, मारा गया । (तह) 

४०. राख । 
     बचाव ।

४१. किस समय ? 
फ़ालतू में बोलने वाला एक शब्द । (कब)

४२. नया । 
           जंगल ।  (नव)  

४३. भीं भीं करता आता हूँ ,
सबकी नींद उड़ाता हूँ । 
खून पी उड़ जाता हूँ ,
               बोलो क्या कहलाता हूँ ?  (मचछर )

४४. बिना पंख उड़ सकती हूँ 
बच्चों को दौड़ाती हूँ । 
कटकर नीचे आती हूँ ,
            बोलो क्या कहलाती हूँ ? (पतंग )

४५. लकड़ी की मैं बनती हूँ ,
पानी पर मैं चलती हूँ । 
दो डंडो के पैर लगाओ ,
           तब मैं आगे बढ़ती हूँ । (नाव)

४६. दूर पास के लोगों से,
घर बैठे मिलवाता हूँ । 
जब तक मुझको नहीं उठाते ,
            ट्रिन ट्रिन गीत सुनाता हूँ । (टेलीफोन)

४७. कच्ची हूँ मैं हरी -हरी ,
पककर होती लाल । 
अगर कोई खा जाए मुझको ,
हुए हाल बेहाल । (मिर्च)

४८. सारी दुनिया की बातें ,
घर बैठे दिखलाता हूँ । 
बटन दबाते गाने लगता 
                  सबका मन बहलाता हूँ । (टेलीविजन)

४९. फर फर फर फर चलता हूँ,
गर्मी दूर भगाता हूँ । 
पसीना खूब सुखाता हूँ ,
           सबके मन को भाता हूँ । (पंखा)

५०. काली हूँ निराली हूँ ,
                   मीठी बोली वाली हूँ । (कोयल) 

५१. बटन दबाते चमक दिखाऊँ ,
 अँधेरे को दूर भगाऊँ।  (बल्ब)

५२. हरा -हरा और गोल -गोल 
            लाल गूदा में रस का घोल ।(तरबूज) 

५३. खेतों में मैं उगता हूँ ,
लाल है मेरा रंग ,
काम मैं आता खाने के ,
           मिलकर खाओ संग । (टमाटर ) 

५४. गोल -गोल लोहे की बनाई ,
दोनों कान लिए गोलाई । 
कान पकड़कर मुझे उठाओ ,
       हलवा पूरी सब बनवाओ । (कढ़ाई ) 

५५. गोल है बच्चों मेरा घेरा ,
गोल -गोल हैं छेद अनेक । 
हाथ मिलाने से मैं हिलता ,
              चावल गेंहूँ छंटता देख । (छलनी ) 

५६ . मैं ठहरा छलनी  का भाई ,
 नहीं डरूं हो गर्म कड़ाही । 
फौरन घी में डुबकी खाऊं ,
          पूरी गर्म -गर्म खिलाऊँ । (पलटा) 

५७ . काला-काला सा निराला ,
पड़ता सबका मुझसे पाला । 
झटपट रोटी गर्म कराऊँ ,
          नन्हे -मुन्ने को खिलाऊँ । (तवा) 

५८ . लोहे से मैं बनता हूँ ,
टुकड़े टुकड़े करता हूँ । 
मैं हूँ भैया बड़े काम का ,
सब घर में रहता हूँ । (चाक़ू)

५९ . लकड़ी की मैं बनती हूँ ,
दही बिलौना मेरा काम । 
लस्सी मक्खन अलग करूँ मैं ,
उसके बाद करूँ आराम । (मथनी)

६० . सिर काटो गंदा हो जाता (मल)
धड़ काटो तो अगला दिन (कल )
पैर कटे तो घट जाता हूँ (कम ) 
बूझो तो मैं कौन हूँ ?  
वैसे मैं एक फूल हूँ ! (कमल)

६१ . तीन अक्षर का मेरा नाम 
सिर काटो तो तंग करुँगी  (तंग)
धड़ काटो तो पैर पडूँगी  (पग )
हवा में उड़ती फिरती हूँ मैं 
यही है मेरा काम ! (पतंग)

६२ . तीन अक्षर का मेरा नाम 
उल्टा सीधा एक समान । 
 (नयन , कवक , जलज )

६३ . गोल- गोल पर गेंद नहीं
लाल -लाल पर फूल नहीं 
आता हूँ खाने के काम 
               सभी जानते मेरा नाम । (टमाटर ) 

६४ . नीचे पटको ऊपर जाऊँ 
ऊपर से फिर नीचे आऊं 
गोल -गोल मैं तुमको भाती
         धप धप धप हूँ कूद लगाती ।(गेंद)

६५ . एक बाग़ में फूल अनेक 
उन फूलों का राजा एक 
बगिया में जब राजा आए 
                   सभी ओर झिलमिल हो जाए ।(चाँद तारे ) 

६६ . बसा पेट में एक नगर 
नहीं नगर में रहूँ मगर 
सदा तैरता हूँ जल पर 
                 पर न समझना मुझे मगर ।  (जहाज)

६7 . कूं कूं कूं कूं करने वाला 
कभी नहीं यह डरने वाला 
दुम मटकाना प्यार जताता 
            जिसकी खाता सदा बजाता । (पिल्ला) 

६८ . लेटी लेटी एक जगह पर 
बंबई को छू जाए 
पाँव तले सब रौंद डालते 
गुस्सा तनिक न खाए । (सड़क )

६९. बिना पंख ही उड़ जाती 
बाँध गले में डोर 
खींचो तो ऊपर चढ़ जाती 
           रहे हाथ में छोर । (पतंग ) 

७०. तीन रंगों में सजा हुआ मैं 
हवा में उड़ता फर -फर 
सभी मुझे है शीश झुकाते 
         नहीं किसी का है डर । (तिरंगा ) 

७१. रस्सी से मुँह बाँध दिया 
फिर धरती पर दे मारा 
घूम घूम कर इधर उधर 
              वह नाच दिखाता न्यारा । (लटटू ) 

७२. मैं हूँ एक पौधे की पत्ती 
तोड़ तोड़ कर मुझे सुखाने 
करके बंद कई डिब्बों में 
           दूर -दूर तकहैं पहुँचाते । (चाय ) 

७३. धरती पर मैं पैर जमाता 
 आसमान में शीश उठाता 
हिलता हूँ पर चल नहीं पाता 
          पैरों से हूँ भोजन खाता । (पेड़ ) 

७४. चार पाँव पर चल न पाऊं 
बिना हिलाए हिल न पाऊं 
फिर भी सब को दूँ आराम 
         झटपट बोलो -मेरा नाम । (कुर्सी)

७५. फूलों का रस पीने वाली 
कत्थई  कत्थई काली-काली 
बड़ी भयानक बड़ी निराली 
             लेकिन शहद बनाने वाली ।(मधुमक्खी)

७६. रहती है वह सबके साथ  
आती नहीं किसी के हाथ 
साथ उठे और बैठे साथ 
             करती नहीं किसी से बात । (छाया ) 

७७. सुन्दर गोल मटोल शरीर 
पर कैसी इसकी तक़दीर 
इधर -उधर खाता सौ लात 
                   फिर भी करे हवा से बात । (फुटबॉल )

७८. बड़ों बड़ों को राह दिखाऊँ 
कान पकड़कर उन्हें पढ़ाऊं 
साथ में उनकी नाक दबाऊं 
              फिर भी मैं अच्छा कहलाऊँ । (चश्मा ) 

७९. नील पीले लाल हरे 
बड़े -बड़े हवा भरे 
हवा रहे तो उड़ते ऊपर 
           सुई चुभे तो गिरते भू पर ।(गुब्बारे)

८०. लाल-लाल गोल-गोल 
नचाने वाला कौन 
धरती जब सोई हुई 
जगाने वाला कौन? (सूरज )

८१. रंगबिरंगी सुन्दर -सुन्दर 
सब को पास बुलाए 
ठंडी -ठंडी मीठी -मीठी 
सब का मन ललचाए 
जीभ लगाओ बार -बार 
        तो छूमंतर हो जाए ।(आइसक्रीम ) 

८२. सिर छोटा -सा पेट बड़ा 
तीन टाँग पर रहे खड़ा 
हवा माँगता पीकर तेल 
              फिर दिखलाता भक भक खेल । (स्टोव) 

८३. नदी किनारे ध्यान लगाए 
एक टाँग पर खड़ा निडर 
मछली आए, मछली आए 
              पकड़ चोंच में चट कर जाए । (बगुला)

८४. गोल-गोल पर गेंद नहीं 
लाल-लाल पर फूल नहीं 
आता हूँ खाने के काम 
              सभी जानते मेरा नाम । (टमाटर ) 

८५. डाली -डाली फिरे फुदकती 
काली है पर काग नहीं 
मीठे मीठे बोल बोलती 
लेकिन कोई राग नहीं ।(कोयल ) 

८६. हुई ज़ोर से धड़ धड़ गम 
चम चम चमकी उड़ते दम 
पहले खूब लगे चक्कर 
हुआ अचानक छूमंतर 
जा पहुँचा चंदा के पास 
जहाँ न पानी जहाँ न घास । (रॉकेट ) 

८७. मछली लहरकर आती हो 
मचल -मचल कर जाती हो 
कभी न गाना गाती हो 
नहीं पकड़ में आती हो 
करती हो तुम मनमानी 
               कहलाती जल की रानी ।  (मछली)
              (खेल गीत  - जयप्रकाश भारती की किताब से ) 
८८. चार अक्षर हैं मुझमें 
अर्थ है नतीजा 
'प' से शुरू होता हूँ मैं 
         पहेली बूझो तो ज़रा । (परिणाम ) 

८९. कहते हैं मुझे 'आना'
विपरीत मेरा है 'जाना'
'आ' से शुरू होता हूँ मैं 
                यदि बूझो तो मैंने जाना । (आगमन) 

९०. मुझको नहीं होश जीवन में 
पढ़ा नहीं बेकार जीवन में । 
चार अक्षर का हूँ मैं प्राणी 
                 बूझो तो फिर तुम हो ज्ञानी । (अनपढ़) 

९१. ठान ली मैंने अब पढ़ना है,
जीवन व्यर्थ नहीं करना । 
प्रतिज्ञा भी है नाम मेरा ,
अब तो ढूंढो मुझको ज़रा । (प्राण)

९२. जीवन में यही बनना है तुम्हें 
 मूर्ख का विलोम कहलाता हूँ मैं 
चार अक्षर का नाम मेरा 
             'अक्ल' हो तो बूझो ज़रा । (बुद्धिमान) 

९३. हूँ मैं केवल चार अक्षर का 
नाश करूँ लेकिन जीवन का ,
'का' से शुरू है नाम मेरा 
             पास मेरे न कभी आना । (कायरता)

९४. मेरे समान है न कोई दूसरा 
केवल लक्ष्मीबाई की वीरता ,
के वर्णन में है प्रयोग मेरा । 
चार अक्षर का है नाम मेरा 
           बूझो तो जल्दी से ज़रा । (अद्वितीय)

९५. प्रकाश है पर्याय मेरा 
विलोम है अँधेरा 
संयुक्ताक्षर से आरम्भ मेरा । 
           छोटा नाम , पर सुन्दर बड़ा । (ज्योति )

९६. रंगबिरंगे पंख हैं मेरे 
नाचता हूँ बारिश में ।(मोर) 

९७. जल ही मेरा जीवन
            जल की रानी मैं । (मछली)  

९८. तेल है मेरा भोजन 
अँधेरे में रोशनी देने वाला 
     बोलो, कौन हूँ मैं ? (दीपक, दीया )

९९. काले कपड़े पहनने वाला 
             बारिश धूप से बचाने वाला । (छाता )

१००. दो और एक मिलाकर 
कौन-सी संख्या बनती ? (२१) 

१०१. भूरे रंग का और मीठा 
देखकर मुझे खुश होते हैं बच्चे 
और, झपट पड़ते हैं  । (चॉकलेट ) 

१०२. दिन की साथी हूँ मैं 
अन्धेरा है दुश्मन मेरा ।(छाया)

१०३. बच्चों का मामा हूँ मैं 
              रात में उजाला फैलाने वाला । (चाँद)

१०४. दो हाथ हैं मेरे 
          पर पैर नहीं हैं ।(घड़ी ) 

१०५. हज़ारों मोतियों से भरा ,
          दुशाल से अपने को ढकने वाला ।(भुट्टा)

१०६. बैंगनी रंग है मेरा ,
             सब्ज़ियों का राजा कहलाता हूँ । (बैंगन)

१०७. चार पैर मेरे, पर दो हाथ ,
             बैठ कर आराम कर लो मुझ पर । (कुर्सी)

१०८. घर को सजाता हूँ मैं ,
            फूलों से भरा रहने वाला । (गुलदस्ता ) 

१०९.  तेल या गैस से चलने वाला ,
            सबकी भूख मिटाने वाला । (स्टोव ) 

११०.  पीला रंग और खाने में मीठा ,
             'फलों का राजा' कहलाने वाला । (आम)

१११. मैं छोटी हूँ , काली हूँ 
      पर मेहनती और हिम्मतवाली हूँ ।(चींटी ) 

११२. हरे हैं हम , हवा में झूमते 
मौसम के साथ रूप बदलते । 
प्रिय है हमें सूरज की रौशनी 
पक्षी चहकते , बोलते , गाते हैं हम पर 
            कीट -पतंग , पक्षी , नीड़ बनाते हैं हम पर । (पेड़)

११३. डिब्बे का घर , लोहे के पाँव 
        बताओ क्या है मेरी बस्ती का नाम ।(रेल ) 

११४. धरती पर कुछ न हो पाता 
आग का गोला यदि न आता । 
गर्मी में यह आग बरसाता 
तन पर खूब पसीना लाता ,
                पेड़ -पौधों को यह उगाता । (सूरज ) 

११५. चकित होना है अर्थ मेरा 
'आ' से शुरू होता है नाम । 
यदि तुम बता दो तो 
               बन जाए तुम्हारा काम । (आश्चर्य ) 

११६. गुरु कहते हैं मुझे 
तीन अक्षर का मेरा नाम । 
सबको पढ़ाना मेरा काम 
                बूझो , फिर तुम करो विश्राम । (आचार्य)

११७. आगे बढ़ना है काम मेरा 
तुमने मुझे अभी है पढ़ा । 
उन्नति भी कहते हैं मुझे 
          अब तो बताओ नाम ज़रा । (प्रगति ) 

११८. तीन अक्षर का मेरा नाम 
प्रण करना है मेरा काम 
'प्र' से शुरू है नाम मेरा 
        ढूँढिए जल्दी से ज़रा । (प्रतिज्ञा ) 

११९. गोल-गोल हूँ , खाने की चीज़ नहीं 
             खेलने की चीज़ , बच्चों का प्यारा खिलौना । (गेंदा ) 

१२०. चार हाथ पर पैर नहीं 
            गर्मी दूर भगाने वाला । (पंखा ) 

१२१. लकड़ी से बनी चार पैर वाली 
           सभी को आराम देने वाली । (चारपाई , खाट ) 

१२२. ईंट , सिंमेट का बना 
गर्मी , बारिश , सर्दी से बचाने वाला ।(घर ) 

१२३. सुन्दर हैं बाग़-बगीचे मेरे कारण 
             पूजा और घर में काम आने वाला । (फूल)

१२४. जीने के लिए ज़रूरी हूँ,
             न मिलने पर जीना कठिन है । (पानी)

१२५. गर्दन है मेरी ,
पर सिर नहीं है । (बोतल)

१२६. रंग में काला -सफ़ेद ,
सुबह ही सबको ख़ुशी देने वाला ,
               पढ़ते हैं सब चाव से मुझे । (समाचार पत्र )

१२७. बड़ा हूँ , लंबा -चौड़ा हूँ ,
ताकतवर व् भयानक भी हूँ । (राक्षस ) 

१२८. तीन अक्षर की फसल कहलाता 
अंत बिना पक्षी बन जाता ,
मध्य कटे इक अंक कहाता ,
आदि  कटे मैं बनूँ बुढ़ापा ।(बाजरा) 

१२९. मैं ज़मींन के नीचे रहता ,
नहीं किसी से कुछ भी कहता 
घर को छोड़ के बाहर आता,
तब मैं सबसे खाया जाता ,
गोल-गोल हूँ मैं गुणकारी ,
          दो अक्षर का , हूँ तरकारी । (आलू) 

१३०. उस नारी का नाम बताएँ 
चीरे-फाड़े कुछ न खाए । (कैंची )

१३१. चौकी पर चढ़ बैठी रानी 
सर पर आग बदन पर पानी 
बार-बार सिर जलता उसका 
         कोई भेद न पावे उसका । (मोमबत्ती ) 

१३२. तीन अक्षर का मेरा नाम 
मैं हूँ एक देश का नाम 
आदि कटे तो मुँह में रहता 
             मध्य कटे तो बनता प्राण । (जापान)

शहरों के नाम छुपे हुए हैं नीचे के नामों में-

१३३. लखन ऊपर की मंज़िल में रहता है ।  

१३४. मैच खेलकर विजय पुरस्कार लाया ।

१३५. जाड़े में आग रात को तापते हैं ।   

१३६. मोहन झटपट नाइ के पास गया । 

१३७. गन्ने से बना रस बहुत मीठा होता है । 

१३८. हरी -हरी पत्तों जैसी 
अजीब बात लेकिन कैसी 
उतरे खोल तो उतरता जाए 
          पूरी की पूरी गायब हो जाए ।(पत्तागोभी)

१३९. धरती में मैं पैर छिपाता 
आसमान में शीश उठाता 
हिलता हूँ पर चल नहीं पाता 
पेड़ों से भी हूँ भोजन पाता । (पेड़)

१४०. लम्बा हूँ पर सांप नहीं ,
चौपाया हूँ पर स्तनधारी नहीं 
एक रंग सा हमेशा नहीं 
               पेड़ पर रहता हूँ पर पक्षी नहीं । (गिरगिट ) 

१४१. देखो मेरे पैर नहीं हैं तब भी दौड़ लगाती 
देखो मेरे जीभ नहीं है तब भी गुनगुनाती 
मेरा मुखड़ा देख-देख सब दिन भर दौड़ लगाते 
मेरे संकेतों पर चल कर्मशील बन जाते ।(चींटी)

१४२. लपलप करती स्वाद बताती 
बोल हमारा सही कराती 
बत्तीस सिपाही घेरे रहें 
भीगी-भीगी हरदम रहे । (जीभ)

१४३. लम्बी पूंछ , पीठ पर रेखा 
दोनों हाथ से खाते देखा । 
पेड़ पर रहे , कुतर के खाए ,
पकड़ो तो वो हाथ न आए ।(गिलहरी)

१४४. सात रंगों से बना , आसमान में छितराया । 
ज्योंहि निकली धूप , अपने को गायब पाया । (इंद्रधनुष) 

१४५. कच्चा तो हरा , पक्का तो पीला ,
छीलो तो सफेद, खाओ तो मीठा । (अमरूद ) 

१४६. देखो मुस्काता वह आता 
कंधे पर थैला लटकाता 
चाहे हम रोज हमारे दर पर आए 
दूर दूर से दोस्तों की खबर लाए । (डाकिया )

१४७. एक कहानी मैं कहूँ , सुन ले मेरे पूत । 
बाँध गले में उड़ गई , हाथ में रह गया  सूत । (पतंग)

१४८. दुह मुँह छोटे , एक मुँह बड़ा ,
आधा माणूस लीले खड़ा 
बीचों बीच लगाते फाँसी ,
नाम सुनो तो आवे हँसी । 

१४९. बचना -बचना मुझसे 
मैं काँटे ओढ़े फिरती हूँ 
और मुझे जब भूख लगे तो 
खोज खोज चींटी चरती  हूँ  
(पोर्कोपिन )

१५०. ठक ठक करता रहता 
खाती चिड़ा भी मेरा नाम । 
चोंच मेरी ताकत पर 
            पेड़ छेदना मेरा काम । (कठफोड़वा ) 

१५१. पंख नहीं पर उड़ता हूँ 
लोग मुझे कहते हैं घोड़ा 
हरी-हरी काया है मेरी ,
              डरता हूँ थोड़ा-थोड़ा । (ग्रासहोपर /टिड्डा ) 

१५२. बचना बहुत ज़ोर से मारूं झपट्टा 
बड़ी तेज़ हैं आँखें मेरी 
मैदानों से जीव पकड़ते भी 
ना लगती मुझको देरी । (गिद्ध)

१५३.  ध्यान लगाए एक टाँग पर 
यह योगी सा कौन खड़ा 
मेंढक मछली हड़प कर  जाता 
कहलाता है भगत बड़ा । (बगुला)

१५४. कोई कहे शीशा और कोई काँच 
सबके हूँ मैं आता काम 
मुझे देखकर सब बाल बनाते 
सज संवर कर पाठशाला जाते । (दर्पण )

१५५. जंगल की एक बिटिया आई 
कड़वी -कड़वी पत्ती लाई 
पत्ती से फिर दवा बन गई 
खाज-खुजली दूर भगाई । (नीम)

१५६. गूंथे चटाई छोकरी , गूँथे चटाई डोकरी 
खुराक खाती जच्चा , झाड़ू बेचे बच्चा । (नारियल)

१५७. कच्चे फल का बने अचार 
पके को खाएँ सब बार-बार 
कहलाता है फलों का राजा 
गर्मी में हो पकता जाता । (आम)

१५८. लम्बी -लम्बी फलियां लगतीं 
खट्टी - खट्टी  होती हैं
चटनी इसकी खूब बनाते 
गर्मी में लू से बचाते । (इमली)

१५९ गोल-गोल फल वाला पेड़ 
पत्ती जिसकी खट्टी गंध वाली 
कच्चे फल  का रंग हरा ,
पकने पर हो जाता पीला 
गर्मी से हमको बचाता ,
पीला -पीला गोल रसीला । (अमरूद)

१६०. लंबा -चौड़ा है एक पेड़ 
फैला रहता दूर -दूर तक 
जड़ें झूलती इसकी धरती तक । (बरगद)

१६१. छोटी -सी कँटीली झाड़ी 
गोल-गोल फल देती है 
खट्टे -मीठेलाल रंग के 
गुठली वाले होते हैं । (बेर)  












































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