उत्तर - (१.) शेरवानी , सगाई , ताकतवर , लखपति , शानदार , मिलाकर , फाइनल | (२.) उल्लास -प्रसन्नता , दल -समूह , कुटिल -दुष्ट , इच्छा -कामना , जगत -संसार , पवन -हवा, पुष्प -फूल , मदिरा -शराब , अम्बु -जल , जाली -नकली , भाग्य -विधिलेख , माता -जननी , नाड़ी -नब्ज़ , ज्येष्ठ -बड़ा , तारा -नक्षत्र , चाल -गति | (३.) चमड़ी जाए दमड़ी न जाए - अत्यधिक कंजूस होना , आसमान से गिरा खजूर पे अटका -कठिनता से काम पूरा होने पर बाधा बीच में आ जाना, लातों के देवता बातों से नहीं मानते -दुष्ट शक्ति से ही वशीभूत होते हैं , अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गईं खेत -काम बिगड़ने पर पश्चाताप करना, नाच न जाने आँगन टेढ़ा -अपना दोष दूसरों पर मढ़ना , बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद-मूर्ख गुणों का महत्त्व नहीं जानता | (४.) भरत अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र थे | इनकी माता का नाम कैकेयी था | कैकेयी ने राजा दशरथ से भरत को राजगद्दी और राम को चौदह वर्ष के वनवास का वरदान माँगा था | ननिहाल से लौटने पर जब राजा की मृत्यु के कारण का पता चला तो लज्जा के कारण उनका मुख पीला पड़ गया | सब मंत्रियों व् रानियों ने सिंहासन पर बैठने की प्रार्थना की , परन्तु वे गद्दी पर नहीं बैठे तो वे उनके खड़ाऊँ लेकर लौट आए | खड़ाऊँ को सिंहासन पर रखकर राम के प्रतिनिधि के रूप में शासन का काम करने लगे |
उत्तर - (१.) तरस -पटुवा , अभ्यास -बल , सन -संकेत , अर्थ -कारण , अनु -पीछे , परिमाण -तौल , मणि -एक रत्न , शालि -चावल , वारांगना -वेश्या , सत्व -सत्ता , आरजू -विनती , शाह -राजा , इति -समाप्त , मणी -सर्प (२.) घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध - सुयोग व्यक्ति की भी प्रतिष्ठा अपने समाज में नहीं होती , जस दूल्हा तस बानी बरात - समान व्यक्तियों का साथ हो जाना , दान की बछिया के दाँत नहीं देखे जाते - मुफ़्त की चीज़ का दाम क्या आँकना , ऊँट चम्पा की कली- अयोग्य को अच्छी चीज़ मिलना , उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई - निर्लज्ज को बुरे कामों से भय नहीं लगता , छछूंदर के चमेली का तेल - ऐसा व्यक्ति जो किसी दुर्लभ वस्तु को पा जाए , कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर - सबको एक -दूसरे
सहायता की आवश्यकता है
उत्तर - (३.) मीराबाई का जन्म राजस्थान में हुआ था | इनके पिता रतन जी मेहता जागीदार थे | माता की मृत्यु जन्म के समय हो गई थी | अत: पालन -पोषण दादा जी ने किया | श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति की भावना की प्रेरणा इनको यहीं से हुई | सम्वत १५७३ में इनका विवाह मेवाड़ नरेश राणा साँगा के पुत्र कुंबर भोजराज के साथ हुआ | दस वर्ष आनंदपूर्वक रहें के पश्चात इनके पति की मृत्यु हो गई | पति की मृत्यु के बाद मीरा "गिरधर गोपाल कृष्ण " की आराधना में मगन हो गई |
(४.) शेरशाह वास्तविक नाम फरीद खां था | शेरशाह के पिता हसन खां जौनपुर के राज्यपाल के यहाँ नौकरी करते थे | बाद में इनको बिहार में जागीर मिल गई और ये वहीं रहने लगे | फरीद खां की अपनी सौतेली माँ से कभी नहीं पटती थी | फरीद ने आगे चलकर बहादुर खां लोहणी नौकरी कर ली | फरीद ने शेर को तलवार से मारकर लोहणी के प्राणों की रक्षा की थी |
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