Saturday, November 7, 2015

Hindi Language interesting content for just grammar practice with SOLUTIONS/ANSWERS or High School Students

मैं वैली स्कूल  में पढ़ाती हूँ । यहाँ पर मिडिल स्कूल और हाई स्कूल की कक्षाएँ लेती हूँ । वैली स्कूल में हम पाठ्य पुस्तक का प्रयोग न कर विभिन्न साधनों का प्रयोग कर विभिन्न विषय छात्र-छात्राओं को सिखाते हैं । इसलिए व्याकरण के मुद्दों को सिखाने के लिए हम विभिन्न स्रोतों से सामग्री संकलित करते हैं जिससे छात्र -छात्राएं विषय को अच्छी तरह से समझ सकें । इस ब्लॉग में प्रकाशित कार्य - पत्रिकाएं  और अभ्यास -पत्रिकाएं विभिन्न पाठ्य -पुस्तकों, व्याकरण पुस्तकों और रचनात्मक पुस्तकों  से एकत्रित की गई हैं । यहाँ मैं इस सामग्री को शीर्षक के अनुसार और प्रत्येक कक्षा के स्तर के अनुरूप प्रस्तुत कर रही हूँ । इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विषय -सामग्री पर मैं अपना अधिकार नहीं जमा सकती । मैं इसे संकलित करने का दावा अवश्य कर सकती हूँ । विशेष रूप से यह कि इस विषय सामलिखी ग्री को एक व्यवस्थित और संगठित ढंग से कक्षा के अनुरूप पढ़ाने और बच्चों को अच्छी तरह से समझाने का दावा कर सकती हूँ । इस विषय सामग्री को अध्यापक और अध्यापिकाओं के साथ-साथ सभी छात्र-छात्राओं के साथ बांटने में मुझे बहुत ख़ुशी है और मैं सभी पुस्तकों और उन्हें लिखने वालों का शुक्रिया करती हूँ कि उन्हीं के कामों को पहले मैंने अपने अध्यापन में प्रयोग किया और अब सबके साथ इसे बांट कर मैं सभी लेखकों के काम को बहुत से लोगों तक पहुंचा रही हूँ । आशा है कि आप सब को मेरा यह प्रयत्न पसंद आएगा और सभी के लिए यह सामग्री उपयोगी सिद्ध होगी । नीचे  लिखी सामग्री मैंने नवभारत टाइम्स समाचार पत्र से मैंने इकट्ठी की है । यह काफी चुनौती पूर्ण सामग्री है इसे हाई स्कूल के छात्र-छात्राओं से करा सकते है। इस सामग्री के उत्तर भी मैं बहुत जल्दी इसी के नीचे प्रकाशित करुँगी । 
उत्तर - (१.) हताहत , उपवास , मतदान , राजभवन , नुकसान , बहुमत, नामांकन | (२.) वाक्य -शब्द समूह , वीरांगना - वीर स्त्री , नीड़ -घोंसला , कूल -किनारा , कड़ी -कठोर , निसान -चिह्न , प्रकृति -स्वभाव , चक्र -पहिया | (३.) नमक मिर्च मिलाना -बात को बढ़ा चढ़ा कर कहना , पत्थर की लकीर होना - अटल हो जाना , फूँक फूँक कर पाँव रखना - सोच -समझकर कर काम करना , आँखें भर आना - दया से आँसू निकल पड़ना , आँख की किरकिरी होना - किसी के लिए कष्टकारक होना | (४. ) दुर्गावती का जन्म ५० में खुजराहो में हुआ था | इनके पिता कीर्तिराय चंदेल थे जो महेबा और कॉलिजर के आस -पास राज्य करते थे | इनकी पुत्री दुर्गावती सुन्दर, सुशील और वीर थी | बचपन में इनको तलवार चलाने , शिकार खेलने एवं तीर चलाने का शौक था | रानी दुर्गावती का विवाह गोडवाना के राजा दलपतिसाह के साथ हुआ था | विवाह के चार वर्ष बाद ही पति की मृत्यु हो गई थी | पति की मृत्यु के बाद पुत्र को गद्दी पर बैठाकर स्वयं शासन करने लगी |  

 
उत्तर - (१.) जनजाति , आयकर , खिलाफ , शिकंजा , दिलावर , तबादला , लाइन | (२.) गति -चाल , तालाब -जलाशय फंदा ,जाल-  सूर -अंधा , घन -हथौड़ा , अंक -गिनती , कर -टैक्स , चीर - वस्त्र | (३.) आँखें लगी रहना - ईर्ष्या भरी दृष्टि से देखना , प्राणों की बाजी लगाना - कार्य सिद्ध करने के लिए अथक प्रयत्न करना , स्वर्णाक्षरों में अंकित रहना -
सदैव याद किया जाना , स्तब्ध रहना - आश्चर्यचकित करना , खोदा पहाड़ निकली चुहिया - अधिक परिश्रम से कम लाभ ,गेंहूँ के साथ घुन भी पिस जाना - बुरे की संगति में भले भी बदनाम हो जाते हैं | (४.) भस्मासुर एक राक्षस था | एक बार इसने भगवान शंकर को अपनी तपस्या से प्रसन्न कर यह वरदान प्राप्त कर लिया कि मैं जिसके सिर पर हाथ रखूँ , वही भस्म हो जाए | वरदान मिलते ही इसने शंकर के सिर पर हाथ रखना चाहा | शंकर जी भागते हुए विष्णु के पास पहुँचे | भगवान विष्णु ने मोहिनी वेश धारण कर उससे अपने साथ नाचने की शर्त लगाई | वह विष्णु के इशारे पर नाचने लगा, इसी बीच उनके संकेत पर उसने अपना हाथ अपने ही सिर पर रख लिया | अपने सिर पर हाथ रखते ही वह स्वयं भस्म हो गया | इस प्रकार भस्मासुर का अंत हुआ | 

उत्तर - (१.) आपका , अहमियत , अनुसार , ईंसान , बेहतर , योगदान , मुलायम | (२.) अन्य -दूसरा, व्यसन -लत , अविलम्ब -शीघ्र , असत्य -गलत , आराधना -पूजा , कलह -लड़ाई , छलना -ठगना , विराम -ठहरना | (३.) नौ नगद न तेरह उधार - देर से बड़े लाभ की अपेक्षा तुरंत कम लाभ अच्छा है , एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है -एक दोष से सारे दोष आ जाते हैं , उलटा चोर कोतवाल को डाँटे-दोषी निर्दोष को दोषी ठहरावे , चिकना घड़ा होना - निर्लज्ज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता , सीधी उँगली से घी नहीं निकलता - सीधेपन से काम नहीं चलता | (४.) अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थीं | एक बार ऋषि गौतम गंगा स्नान के लिए गए थे | उसी समय इंद्र गौतम ऋषि का वेष धारण कर उनके आश्रम में पहुँचे | सरल स्वभाव वाली नारी उनके धोखे में आ गई | अहिल्या ने वेषधारी इंद्र को अपना पति समझ लिया | अहिल्या के साथ इंद्र को सोते देखकर गौतम के क्रोध का ठिकाना न रहा | उन्होंने इंद्र को तो शाप दिया ही , अपनी पत्नी को पत्थर हो जाने का शाप दे दिया | जब रामचंद्र जी जनकपुरी जा रहे थे, तो उनके चरण स्पर्श से अहिल्या का उद्धार हुआ | 
उत्तर - (१.) गोरापन , चमकना , यमराज , मजेदार , अचानक , परिधान , बचपन | (२.) नाग-सर्प , असंभव -नामुमकिन , असुर -राक्षस , गज -हाथी , झंडा -पताका , मधु -शहद , नौका -नाव , काल -समय , खामी -कमी , अंकुश -नियंत्रण , अंधड़ -आँधी , कलही -झगड़ालू , जासूस -भेदिया , ज़ुल्म -अन्याय , प्रभावी -शक्तिशाली , लेनहार -लेनेवाला | (३. ) भैंस के आगे बीन बजाए भैंस खड़ी पगुराए -मूर्ख को शिक्षा देना, भरी थाली में लात मारना-अभिमान से तिरस्कार करना, दूध का जला छाछ फूंक -फूंक कर पीता है -एक बार धोखा खाया व्यक्ति दोबारा विश्वास नहीं करता , घर की मुर्गी दाल बराबर -सहज प्राप्य वस्तु का आदर नहीं होता, घर का भेदी लंका ढाये -घर की फूट परिवार को नष्ट कर देती है , का वर्षा जब कृषि सुखानी - अवसर बीत जाने पर मेहनत व्यर्थ होती है | (४.) गुरु गोविन्द जी सिक्खों के दसवें गुरु थे | इनका जन्म बिहार के पटना शहर में सन १६६६ ई. में हुआ था | इनके पिता का नाम गुरु तेगबहादुर था | पिता की मृत्यु हो जाने के कारण अल्पावस्था में ही इन्हें गुरु की गद्दी संभालनी पड़ी | गुरु गोविन्द जी मुसलमानों के  अत्याचार से हिन्दुओं को मुक्त कराना चाहते थे | इन्होंने सर्वप्रथम पाँच शिष्यों को शिक्षा दी जो पाँच प्यारे के नाम से जाने जाते हैं | गुरु गोविन्द जी का विश्वास था -सवा लाख से लड़ाऊँ तो गुरु गोविन्द सिंह नाम कहाऊँ |  
उत्तर - (१.) शेरवानी , सगाई , ताकतवर , लखपति , शानदार , मिलाकर , फाइनल | (२.) उल्लास -प्रसन्नता , दल -समूह , कुटिल -दुष्ट , इच्छा -कामना , जगत -संसार , पवन -हवा, पुष्प -फूल , मदिरा -शराब , अम्बु -जल , जाली -नकली , भाग्य -विधिलेख , माता -जननी , नाड़ी -नब्ज़ , ज्येष्ठ -बड़ा , तारा -नक्षत्र , चाल -गति | (३.) चमड़ी जाए दमड़ी न जाए - अत्यधिक कंजूस होना , आसमान से गिरा खजूर पे अटका -कठिनता से काम पूरा होने पर बाधा बीच में आ जाना, लातों के देवता बातों से नहीं मानते -दुष्ट शक्ति से ही वशीभूत होते हैं , अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गईं खेत -काम बिगड़ने पर पश्चाताप करना, नाच न जाने आँगन टेढ़ा -अपना दोष दूसरों पर मढ़ना , बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद-मूर्ख गुणों का महत्त्व नहीं जानता | (४.) भरत अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र थे | इनकी माता का नाम कैकेयी था | कैकेयी ने राजा दशरथ से भरत को राजगद्दी और राम को चौदह वर्ष के वनवास का वरदान माँगा था | ननिहाल से लौटने पर जब राजा की मृत्यु के कारण का पता चला तो लज्जा के कारण उनका मुख पीला पड़ गया | सब मंत्रियों व् रानियों ने सिंहासन पर बैठने की प्रार्थना की , परन्तु वे गद्दी पर नहीं बैठे तो वे उनके खड़ाऊँ लेकर लौट आए | खड़ाऊँ को सिंहासन पर रखकर राम के प्रतिनिधि के रूप में शासन का काम करने लगे |  
 
उत्तर - (१.) तरस -पटुवा  , अभ्यास -बल  , सन -संकेत , अर्थ -कारण  , अनु -पीछे , परिमाण -तौल , मणि -एक रत्न , शालि -चावल , वारांगना -वेश्या , सत्व -सत्ता , आरजू -विनती , शाह -राजा , इति -समाप्त , मणी -सर्प (२.) घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध - सुयोग व्यक्ति की भी प्रतिष्ठा अपने समाज में नहीं होती , जस दूल्हा तस बानी बरात - समान व्यक्तियों का साथ हो जाना , दान की बछिया के दाँत नहीं देखे जाते - मुफ़्त की चीज़ का दाम क्या आँकना , ऊँट  चम्पा की कली- अयोग्य को अच्छी चीज़ मिलना , उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई - निर्लज्ज को बुरे कामों से भय  नहीं लगता , छछूंदर के  चमेली का तेल - ऐसा व्यक्ति जो किसी दुर्लभ वस्तु को पा जाए , कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर - सबको एक -दूसरे 
 सहायता की आवश्यकता है 
   


उत्तर - (३.) मीराबाई का जन्म राजस्थान में हुआ था | इनके पिता रतन जी मेहता जागीदार थे | माता की मृत्यु जन्म के समय हो गई थी | अत: पालन -पोषण दादा जी ने किया | श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति की भावना की प्रेरणा इनको यहीं  से हुई | सम्वत १५७३ में इनका विवाह मेवाड़ नरेश राणा साँगा के पुत्र कुंबर भोजराज के साथ हुआ | दस वर्ष आनंदपूर्वक रहें के पश्चात इनके पति की मृत्यु हो गई | पति की मृत्यु के बाद मीरा "गिरधर गोपाल कृष्ण " की आराधना में मगन हो गई | 
(४.) शेरशाह  वास्तविक नाम फरीद खां था | शेरशाह के पिता हसन खां जौनपुर के राज्यपाल के यहाँ नौकरी करते थे | बाद में इनको बिहार में जागीर मिल गई और ये वहीं रहने लगे | फरीद खां की अपनी सौतेली माँ से कभी नहीं पटती थी | फरीद ने आगे चलकर बहादुर खां लोहणी  नौकरी कर ली | फरीद ने शेर को तलवार से मारकर लोहणी के प्राणों की रक्षा की थी | 



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