मैं वैली स्कूल में पढ़ाती हूँ । यहाँ पर मिडिल स्कूल और हाई स्कूल की कक्षाएँ लेती हूँ । वैली स्कूल में हम पाठ्य पुस्तक का प्रयोग न कर विभिन्न साधनों का प्रयोग कर विभिन्न विषय छात्र-छात्राओं को सिखाते हैं । इसलिए व्याकरण के मुद्दों को सिखाने के लिए हम विभिन्न स्रोतों से सामग्री संकलित करते हैं जिससे छात्र -छात्राएं विषय को अच्छी तरह से समझ सकें । इस ब्लॉग में प्रकाशित कार्य - पत्रिकाएं और अभ्यास -पत्रिकाएं विभिन्न पाठ्य -पुस्तकों, व्याकरण पुस्तकों और रचनात्मक पुस्तकों से एकत्रित की गई हैं । यहाँ मैं इस सामग्री को शीर्षक के अनुसार और प्रत्येक कक्षा के स्तर के अनुरूप प्रस्तुत कर रही हूँ । इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विषय -सामग्री पर मैं अपना अधिकार नहीं जमा सकती । मैं इसे संकलित करने का दावा अवश्य कर सकती हूँ । विशेष रूप से यह कि इस विषय सामग्री को एक व्यवस्थित और संगठित ढंग से कक्षा के अनुरूप पढ़ाने और बच्चों को अच्छी तरह से समझाने का दावा कर सकती हूँ । इस विषय सामग्री को अध्यापक और अध्यापिकाओं के साथ-साथ सभी छात्र-छात्राओं के साथ बांटने में मुझे बहुत ख़ुशी है और मैं सभी पुस्तकों और उन्हें लिखने वालों का शुक्रिया करती हूँ कि उन्हीं के कामों को पहले मैंने अपने अध्यापन में प्रयोग किया और अब सबके साथ इसे बांट कर मैं सभी लेखकों के काम को बहुत से लोगों तक पहुंचा रही हूँ । आशा है कि आप सब को मेरा यह प्रयत्न पसंद आएगा और सभी के लिए यह सामग्री उपयोगी सिद्ध होगी ।
उत्तर - १. राम पाठशाला जाता है |
२. क्या तुम बाहर जा रहे हो ?
३. अरे! तुम कहाँ जा रहे हो ?
उत्तर- क्या मनोहरन तुम्हारा भाई है ?
हाँ ,आप उसे जानते हैं |
कितनी ठंडी हवा चल रही है !
रमन कहाँ रहती है ?
वाह , क्या मजेदार खाना है ?
उत्तर - अध्यापिका ने कहा, " चलो, आज पेड़ों के नीचे बैठकर कुछ बातचीत करें |
" बच्चों ने पूछा ," अध्यापिका जी, आप किस विषय पर बात करेंगी?"
वे बोलीं," आज की बात तुम्हारे मनपसंद खेलों पर होगी |"
उत्तर - १. तुम बाजार से सेब ले आओ |
२. कल तुम कहाँ जाओगे ?
३. वाह ! क्या मजेदार खाना है ?
४. माँ बोलीं ," कल से तुम चार बजे खेलने जाना |"
५. रीता , मीता और सीता बाहर खेल रही हैं |
उत्तर - १. पढ़ना, लिखना , खाना , पीना आदि क्रियाएँ हैं |
२. वह यहीं रहता है |
३. वे मैदान में खेलते हैं |
४. राम, श्याम और मोहन पढ़ते हैं |
५. राम का स्वास्थ्य कैसा है ?
६. वह क्या करता है ?
७. भाई साहब कहाँ गए हैं ?
८. क्या आप पढ़ते हैं ?
९. वे सब कहाँ रहते हैं ?
१०. दिनेश स्कूल गया है |
११. क्या तुम वहाँ जाओगे ?
१२. राकेश ने दौड़ते हुए शेर को मारा |
उत्तर - मित्रता हो गई | मिलते थे | रहता था | खिलाता था | सोचा ," जब... मीठा होगा | किसी .... चाहिए |" सोचा | कहा ," आओ ,आज ...... लाऊँ | " ले गया | बोला ," आज ..... खाऊँगा |"
बोला ," मित्र, तुमने ...... की | तुमने ........ बताई ? मैं ....... दे देता | अब ...... रहे हो |" ले आया | बोला ," धूर्त , तू ...... है | तू ..... नहीं |
उत्तर - मैं आम , संतरे , जामुन खाता हूँ | वह हिंदी , अंग्रेजी , मराठी जानता है | सुरेश , रमेश , दिनेश मेरे दोस्त हैं | वह जलेबी , पेड़े , बर्फी खाता है | आशा , लीना , मीना सहेलियाँ हैं |
वह क्या करता है ? तुम कहाँ पढ़ते हो ? वे कब आएँगे ? तुम कैसे आए ?
हाय ! बेचारा मारा गया | वाह ! तुमने तो खूब काम किया | कमल ने कहा ," मैं कल चली जाऊँगी |" अध्यापक -भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे ? बुद्ध ने कहा ," अहिंसा परम धर्म है |" इन पंक्तियों का भाव निम्नलिखित है -
उत्तर - राजकुमारी बहुत उदास थी | अहा ! कितने सुन्दर फूल ? तितली उड़ रही है | क्या भालू नाच रहा है ?
वह बोला ," अरे क्या गिरा ?" आसमान गिर रहा है, भागो ! खरगोश डर कर भागने लगा | किसने कहा , आसमान गिर रहा है ? ठहरो , कुछ बताओ तो | सबसे पहले इसी ने कहा था |
अरे ! यह तो नया पुल है | पुल बड़ा बन गया है | मैं नाव कहाँ तैराऊंगा ? आओ , पहले कुछ खा लें | देखो, वह पुल !
उत्तर - आज मेरा जन्मदिन है |
गीता , सीता और रमा संग्रहालय गए हैं |
तुम्हारा नाम क्या है ?
पिताजी बोले ," अब सो जाओ |"
उफ , कितनी गर्मी है !
आओ, हम लोग कैरम खेलें |
क्या आप बीमार हैं ?
१. सुमित किधर चला गया ?
२. वाह , कितना सुन्दर दृश्य है !
३. नम्रता बोली , " मुझे विद्यालय जाना है |"
४. क्या आप मुझे पहचानते हैं ?
५. दिनेश, प्रभात और प्रभा एक ही कक्षा में पढ़ते हैं |
६. छि: , कितनी बदबू है !
उत्तर - १. आज का दिन बहुत अच्छा है |
२. रवि , गीता और हिमांशु उद्यान में हैं |
३. वाह ! कितना सुन्दर दृश्य है |
४. क्या आप मेरे बारे में जानते हैं ?
५. रेशमा बोली ,"मैंने ताजमहल देखा है |"
६. दोनों अपने-अपने घर चले गए |
७. तुम्हारी कक्षा में कितने बच्चे हैं ?
८. मोहन , इधर आओ |
Answers:
१.
नेताजी ने कहा, “ हमाम में सभी
नंगे हैं और नंगा नंगे को क्या नंगा करेगा ?”
२.
‘अच्छा, तुम आ गए ! मैं तुम्हारा इन्तजार कर
रहा था क्योंकि तुम मेरे साथ चलोगे |’
३.
वाह भई ! तुम कब आए ? यदि तुम न आते तो मैं
बुरा मानता |
४.
वाह! तुमने तो बाजी मार ली | क्या इसी दिन के इंतजार
में मकान , दुकान और बैठक छोड़े बैठे थे ?
५.
छि: ! तुम झूठ बोलते हो | यदि तुम सत्य बोलते
तो क्या मैं तुम्हें राज, प्रताप और मोहन के समान न समझता ?
६.
रमेश ने उत्तेजित होकर कहा, “ मैं कुछ चाहता
हूँ , आप कुछ और | मैं चाहता हूँ प्रार्थना करना , आप चाहते हैं बाजा बजाना |
दोनों बातें एक साथ नहीं चल सकतीं |
७.
नारद
ने कहा ,” कैसे भेजता ? चपरासी सो रहा है , कल भेजूँगा |”
८.
सुनो, कौन आया है ? उसे कुर्सी, सोफा या पलंग
पर बिठाइए |
९.
बच्चों ! खेल आए | तुमने रेफरी , कप्तान और कोच
की आज्ञा का पालन क्यों नहीं किया ?
१०.
अरे भई ! तुम आ गए | अहमद, विक्रम और जार्ज को
कहाँ छोड़ आए ?
११.
गुरु जी बोले,” बालकों! सदा सत्य पथ पर चलो |”
१२.
जीवन कर्म क्या है ? सोचता हूँ तो एक ही उत्तर
मिलता है –युद्ध |
१३.
सुनो ! किसने दस्तक डी ? उससे नाम , ग्राम और
काम पूछो |
१४.
अरे ! बताओ, कहाँ थे ? सुबह , दोपहर और शाम को
घर पर नहीं मिलते |
१५.’अरे मोहन! किताब कहाँ है? मुझे अलमारी,
दराज और कमरे में नहीं मिली |’
१६.सुनो! यह क्या हंगामा है? अपनी दौलत, माल और
जान की रक्षा करो |
१७.वाह ताजमहल! तेरी क्या शान है! ऐसा कोई भवन
आकाश, पाताल, धरती पर नहीं है |
१८.अरे मोहन! तुम कहाँ थे ? मैं तुम्हारे लिए
हलुवा, पूरी और खीर लाया था |
१९.भाइयों , मैं आपका भला चाहता हूँ | वह
व्यक्ति , जिसे कल मैंने देखा था , आज बिना सूचना के यहाँ से चला गया |
२०.लहरें आएंगी, लौट जाएंगी | ये लहरें विद्रोह
क्यों नहीं कर देतीं ? इनसे अच्छी तो नदियाँ हैं |
२१.पर वह सागर, जहाँ है , वहीँ है | इसकी अपनी
नियति है, बेचारा सागर!
२२.वहाँ अनेक प्रकार की बेलें फैली हैं –सेम
,लोबिया, केंवाच , लौकी आदि की |
Answers:
२३. भारतवासी सोचने लगे-अरे !हमारी संस्कृति
में ऐसी-ऐसी चीज़ें भी भरी पड़ी हैं क्या ?
२४. मोहन!बाहर देखो कौन है? उससे नाम, गाँव और काम पूछो |
२५.वे गदगद कंठ से बोले,’वहाँ जाने में बहुत
खर्च पड़ता है , बबुआ ! मैं गरीब आदमी ठहरा ना |’
२६. गुरु जी बोले,”बालकों! कर्त्तव्य का पालन
करना है सच्चा धर्म है|’
२७.उसने कहा था ,”तुम्हारे लिए कोई मूल्य नहीं
है इस कहानी का |”
२८.सभी
एक साथ चिल्ला उठे ,”हम भी चलेंगे , हम भी चलेंगे|”
२९.माँ ने पूछा ,”ये आम , अमरूद और जामुन कहाँ से लाया ?”
३०.लड़का बोला,”ये कबूतर ,खरगोश और बंदर किसके
हैं?”
३१. राजा ने कहा,”तूने तो एक पत्थर से बंदर,
भालू और शेर को कैसे घायल कर दिया?”
३२.हमने पिताजी को बता दिया ,”हमने पुस्तक ,
कॉपी या कलम नहीं छोड़ी |”
३३. हम स्वीकार करते हैं-हमने अभी तक शिमला,
श्रीनगर या गुवाहाटी नगर कहाँ देखे हैं ? लंदन की छोड़ो |
३४. अरे! किसका पत्र आया है? रमेश, शीला या
राधा का होगा|
३५. छि: गाली देते हो| क्या तुम्हारे माता-पिता
, भाई –बहनों ने यही सिखाया है |
३६. बहनों और भाइयों! आपको ज्ञात है कि जब
हमारे मित्र और मिलने वाले हमें याद करते हैं , तो मैं अवश्य आता हूँ पर यह तभी तक
है, जब तक आप, आपके दोस्त तथा अन्य लोग मेरे साथ हैं | जय हिन्द!
३७. अरे ! भैंस
खेत में किसने छोड़ दी? लाठी, बाँस या डंडा लेकर उसे खेत से निकाल दो |
३८. अजी वाह !
आपने खूब कहा,” हम कोई पढ़े –लिखे नहीं हैं | हम भी तो उनके विरुद्ध कचहरी में जा
सकते हैं, मुकद्दमा लड़ सकते हैं और नाकों चने चबवा सकते हैं |”
३९. छि: ! चोरी
करते हो | क्या तुम्हारे माता-पिता और भाई ने यही सिखाया है ?
४०. हमने
प्रधानाचार्य से कहा,”हमने फूल, पत्ती और डाली नहीं तोड़ी|”
४१. कमल ने
कहा,”कैसे भेजता? चपरासी सो रहा है |”
४२. क्या आपने वह
दृश्य देखा है ? देख लेंगे, तो करुणा उमड़ पड़ेगी |
४३. मैं पूछता
हूँ ,”क्या आज भी भीषण मँहगाई में रोटी,
कपड़ा और मकान सबको सुलभ है ?”
४४. दीपक ने
कहा,” भगवान्! तुझे सुखी रखे |”
४५. हाय, मेरे
भाग्य में यही लिखा है था | मैं कमल को नहीं पढ़ा पाया | पर क्यों?
४६. सरोज ने
कहा,” कैसे भेजती ? नौकरानी सो रही है | कल भेजूँगी |
४७. बूढ़े ने कहा
,” अरे, मैं तीस मील से पैदल चलकर आ रहा हूँ |”
Answers:
४८. फिर मेरी
क्या आवश्यकता ? मेरा काम ही क्या है ?
४९. अरे, कहीं
बुखार भी झाड़ –फूंक से उतरता है ?
५०. क्या आपके
सिर में दर्द रहता है ? एक गोली लीजिए और सिर दर्द गायब |
५१. धर्मराज ने
पूछा,” और वह दूत कहाँ है ?” “महाराज, वह लापता है |”
५२. राम ने कहा,
“ मैं कल चला जाऊँगा |”
५३. क्या आप
मुंबई जाएँगे ?
५४. ओह , यह क्या
हो गया ?
५५. नेता जी ने
कहा था,” तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हें आजादी दूँगा |”
५६. पहले मैं
स्टेशन जाऊं फिर गांधी नगर और एक बजे तक लौट भी आऊँ , यह तो हो ही नहीं सकता |
५७. मनोहर , मेरी
पुस्तक कहाँ रख दी है ?
५८. मैंने अपना
कार्य पूरा कर लिया है |
५९. बाबूजी !चलो,
आपको तमाशा दिखाता हूँ |
६०. मैं तो वहाँ
गया था, मोहन मिला ही नहीं | वहीँ बैठा रहता क्या ?
६१. कल्पना, जा
दौड़ कर मनीषा, लता और सुबोध को बुला ला |
६२. अरे, यह
तुमने क्या कर दिया ?
६३. शाबाश, तुमने
तो कमाल ही कर दिया |
६४. क्यों , अब
कैसा लग रहा है ?
६५. हाय, हाय ,
मार डाला |
६६. अच्छा, तुम
भी हवाई जहाज चलाओगे |
६७. शुभा, मुक्ता
और सुधा आ गईं हैं|
६८. तुम सब महेश,
गौरव तथा सुधीर कहाँ गए थे ?
६९. अरे, यह
पुस्तक तुम्हें कहाँ से मिली?
७०. रामधारी सिंह
दिनकर की उक्ति ‘क्षमा शोभती उस भुजंग को’ का
भाव स्पष्ट कीजिए |
७१. सुख-दुःख ,
हानि-लाभ सब भगवान् के हाथ में हैं |
७२. अरे, तुम लौट
भी आए |
७३. क्या आपने यह
पुस्तक पढ़ ली है ?
७४. रीता, गीता
और सीता चली गईं हैं |
Answers:
७५. मित्र,
तुम्हारे बिना तो मैं उदास हो गया था |
७६. आप मुझे
पुस्तक देंगे या नहीं ?
७७. उपर्युक्त
मतों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-
७८. डा गुप्ता
अभी आए हैं या नहीं ?
७९. रामधारी सिंह
दिनकर ने रश्मिरथी की रचना की है |
८०. बहुत अधिक
सोचो मत , परीक्षा की तैयारी करो | आशा है, सफल हो जाओगे |
८१. उपनिषद में
कहा गया है –चरेवैती चरेवैती |
८२. लव-कुश सीता
के पुत्रों का जन्म वाल्मीकि मुनि के आश्रम में हुआ था |
८३. खाना-पीना,
खेलना-कूदना, सोना-जागना तो ज़रूरी है ही | पढ़ना-लिखना भी ज़रूरी है |
८४. आप इतनी
जल्दी क्यों जा रहे हैं ? क्या आपका मन यहाँ नहीं रमा ? जरा ठहर जाइए, मैं भी आपके साथ चलूँगा |
८५. वाह, तुमने
कमाल किया | सभी कुछ खा गए | मेरे लिए कुछ भी न रखा |
८६. पंडित
मनोहरलाल, एक विद्वान व्यक्ति, हमारे अध्यापक उदार और परिश्रमी हैं |
८७. वे कह रहे थे
,”हमें प्रात:काल उठकर सैर करनी चाहिए | सैर से स्वास्थ्य बनता है |’
८८. गाय दूध देती
है | भार ढोने वाले बच्चे पैदा करती है |
खाद के लिए गोबर देती है और औषधीय गुणों वाले मूत्र से भी उपकार करती है |
८९ रमेश ने सोहन
को पुकारा ,”ओ सोहन!’ पर सोहन ने कोई ध्यान न दिया | वह सोचता-सोचता राम, श्यामू और
मोहन के खेतों के पार निकल गया |
९०. जो व्यक्ति
बुद्धिमानी की बात नहीं करते | सहानुभूति के गुणों से रहित हैं | हमें कर्त्तव्य
का बोध भी नहीं कराते | ऐसे मित्रों का न होना ही भला है |
९१. सभी त्यौहार
होली, दीवाली , ईद , क्रिसमस मिलकर मनाओ |
९२. मैंने फिर संक्षेप
में निवेदन किया ,”देवी! क्या आज्ञा है ?” देवी ने क्षीण कंठ से कहा ,”चलो|”
९३. “अरे मूर्ख!
तू समझता क्यों नहीं ?” राजा ने क्रोध से कहा | “यह हमारे मान-अपमान का प्रश्न है
| अत: सोच –समझकर बोल |”
९४. “मैं तो ठहर
गया , बोल, तू कब ठहरेगा ?” गौतम ने कहा |
९५. “हैं! हमारी
सेना हार गई |” राजा ने आश्चर्य से कहा | “जी हाँ , यह सच है |” मंत्री ने विनीत
भाव से उत्तर दिया |
९६. वह सुशील ,
मिलनसार, योग्य और सुन्दर है | किन्तु थोड़ा सनकी है |
Answers:
९७. महाराज ने
कहा,”इन भोले-भाले बच्चों को छोड़ दो | इन्हें भरपेट मीठे बेर खिलाओ| यह बेचारे
इन्हीं के लिए तो ढेले मार रहे थे |”
९८. कुछ बातें
सुनी-सुनाई होती हैं और कुछ मनगढ़ंत और कुछ आपबीती |
९९. जो पत्र आज
आया है, कहाँ है ?
१००. ऐसे व्यक्ति
समाज में बहुत मिल जाएँगे जो शराब , गाँजा , अफीम , चरस आदि के बिना नहीं रह सकते
|
१. सभी नारे
लगाने लगे –महात्मा गांधी की जय !
२. नेता जी ने
कहा,”तुम मुझे खून दो | मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा |”
३. स्वतंत्र भारत
का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व आज युवकों पर है क्योंकि आज जो युवक हैं , वे ही कल भारत
के नागरिक होंगे |
४. चंद्रधर ने
पूछा,” यह क्या हो गया? नत्थुराम जी !”
५. राजू जोर से
चिल्लाया ,”बच्चों!”
६. महात्मा गांधी
ने ‘गाय करुणा की कविता है’ क्यों कहा? यह उसकी आँखें देखकर ही समझ में आ सकता है
|
७. वल्लरी सूखी
नहीं , मात्र उस वृक्ष से हट गई |
८. “पर एक बात
कहूँ , मानोगे?” जानकार ने पूछा |
९. क्या आप अपना
घर –दफ्तर गंदा रखते हैं ?
१०. बुजुर्ग की
उंगली की सीध में सूखे पेड़ के अन्तराल में एक शिरा जैसे हरी हो आई थी |
११. बूढ़े ने कहा
,” मैं तीस साल से पैदल चलकर आ रहा हूँ |”
१२. फिर मेरी
क्या आवश्यकता है? मेरा काम ही क्या है ?
१३. अरे, कहीं
बुखार भी झाड़-फूंक से उतरता है ?
Answers:
१.
नेताजी ने कहा, “ हमाम में सभी
नंगे हैं और नंगा नंगे को क्या नंगा करेगा ?”
२.
‘अच्छा, तुम आ गए ! मैं तुम्हारा इन्तजार कर
रहा था क्योंकि तुम मेरे साथ चलोगे |’
३.
वाह भई ! तुम कब आए ? यदि तुम न आते तो मैं
बुरा मानता |
४.
वाह! तुमने तो बाजी मार ली | क्या इसी दिन के इंतजार
में मकान , दुकान और बैठक छोड़े बैठे थे ?
५.
छि: ! तुम झूठ बोलते हो | यदि तुम सत्य बोलते
तो क्या मैं तुम्हें राज, प्रताप और मोहन के समान न समझता ?
६.
रमेश ने उत्तेजित होकर कहा, “ मैं कुछ चाहता
हूँ , आप कुछ और | मैं चाहता हूँ प्रार्थना करना , आप चाहते हैं बाजा बजाना |
दोनों बातें एक साथ नहीं चल सकतीं |
७.
नारद
ने कहा ,” कैसे भेजता ? चपरासी सो रहा है , कल भेजूँगा |”
८.
सुनो, कौन आया है ? उसे कुर्सी, सोफा या पलंग
पर बिठाइए |
९.
बच्चों ! खेल आए | तुमने रेफरी , कप्तान और कोच
की आज्ञा का पालन क्यों नहीं किया ?
१०.
अरे भई ! तुम आ गए | अहमद, विक्रम और जार्ज को
कहाँ छोड़ आए ?
११.
गुरु जी बोले,” बालकों! सदा सत्य पथ पर चलो |”
१२.
जीवन कर्म क्या है ? सोचता हूँ तो एक ही उत्तर
मिलता है –युद्ध |
१३.
सुनो ! किसने दस्तक डी ? उससे नाम , ग्राम और
काम पूछो |
१४.
अरे ! बताओ, कहाँ थे ? सुबह , दोपहर और शाम को
घर पर नहीं मिलते |
१५.’अरे मोहन! किताब कहाँ है? मुझे अलमारी,
दराज और कमरे में नहीं मिली |’
१६.सुनो! यह क्या हंगामा है? अपनी दौलत, माल और
जान की रक्षा करो |
१७.वाह ताजमहल! तेरी क्या शान है! ऐसा कोई भवन
आकाश, पाताल, धरती पर नहीं है |
१८.अरे मोहन! तुम कहाँ थे ? मैं तुम्हारे लिए
हलुवा, पूरी और खीर लाया था |
१९.भाइयों , मैं आपका भला चाहता हूँ | वह
व्यक्ति , जिसे कल मैंने देखा था , आज बिना सूचना के यहाँ से चला गया |
२०.लहरें आएंगी, लौट जाएंगी | ये लहरें विद्रोह
क्यों नहीं कर देतीं ? इनसे अच्छी तो नदियाँ हैं |
२१.पर वह सागर, जहाँ है , वहीँ है | इसकी अपनी
नियति है, बेचारा सागर!
२२.वहाँ अनेक प्रकार की बेलें फैली हैं –सेम
,लोबिया, केंवाच , लौकी आदि की |
२३. भारतवासी सोचने लगे-अरे !हमारी संस्कृति
में ऐसी-ऐसी चीज़ें भी भरी पड़ी हैं क्या ?
२४. मोहन!बाहर देखो कौन है? उससे नाम, गाँव और काम पूछो |
२५.वे गदगद कंठ से बोले,’वहाँ जाने में बहुत
खर्च पड़ता है , बबुआ ! मैं गरीब आदमी ठहरा ना |’
२६. गुरु जी बोले,”बालकों! कर्त्तव्य का पालन
करना है सच्चा धर्म है|’
२७.उसने कहा था ,”तुम्हारे लिए कोई मूल्य नहीं
है इस कहानी का |”
२८.सभी
एक साथ चिल्ला उठे ,”हम भी चलेंगे , हम भी चलेंगे|”
२९.माँ ने पूछा ,”ये आम , अमरूद और जामुन कहाँ से लाया ?”
३०.लड़का बोला,”ये कबूतर ,खरगोश और बंदर किसके
हैं?”
३१. राजा ने कहा,”तूने तो एक पत्थर से बंदर,
भालू और शेर को कैसे घायल कर दिया?”
३२.हमने पिताजी को बता दिया ,”हमने पुस्तक ,
कॉपी या कलम नहीं छोड़ी |”
३३. हम स्वीकार करते हैं-हमने अभी तक शिमला,
श्रीनगर या गुवाहाटी नगर कहाँ देखे हैं ? लंदन की छोड़ो |
३४. अरे! किसका पत्र आया है? रमेश, शीला या
राधा का होगा|
३५. छि: गाली देते हो| क्या तुम्हारे माता-पिता
, भाई –बहनों ने यही सिखाया है |
३६. बहनों और भाइयों! आपको ज्ञात है कि जब
हमारे मित्र और मिलने वाले हमें याद करते हैं , तो मैं अवश्य आता हूँ पर यह तभी तक
है, जब तक आप, आपके दोस्त तथा अन्य लोग मेरे साथ हैं | जय हिन्द!
३७. अरे ! भैंस
खेत में किसने छोड़ दी? लाठी, बाँस या डंडा लेकर उसे खेत से निकाल दो |
३८. अजी वाह !
आपने खूब कहा,” हम कोई पढ़े –लिखे नहीं हैं | हम भी तो उनके विरुद्ध कचहरी में जा
सकते हैं, मुकद्दमा लड़ सकते हैं और नाकों चने चबवा सकते हैं |”
३९. छि: ! चोरी
करते हो | क्या तुम्हारे माता-पिता और भाई ने यही सिखाया है ?
४०. हमने
प्रधानाचार्य से कहा,”हमने फूल, पत्ती और डाली नहीं तोड़ी|”
४१. कमल ने
कहा,”कैसे भेजता? चपरासी सो रहा है |”
४२. क्या आपने वह
दृश्य देखा है ? देख लेंगे, तो करुणा उमड़ पड़ेगी |
४३. मैं पूछता
हूँ ,”क्या आज भी भीषण मँहगाई में रोटी,
कपड़ा और मकान सबको सुलभ है ?”
४४. दीपक ने
कहा,” भगवान्! तुझे सुखी रखे |”
४५. हाय, मेरे
भाग्य में यही लिखा है था | मैं कमल को नहीं पढ़ा पाया | पर क्यों?
४६. सरोज ने
कहा,” कैसे भेजती ? नौकरानी सो रही है | कल भेजूँगी |
४७. बूढ़े ने कहा
,” अरे, मैं तीस मील से पैदल चलकर आ रहा हूँ |”
४८. फिर मेरी
क्या आवश्यकता ? मेरा काम ही क्या है ?
४९. अरे, कहीं
बुखार भी झाड़ –फूंक से उतरता है ?
५०. क्या आपके
सिर में दर्द रहता है ? एक गोली लीजिए और सिर दर्द गायब |
५१. धर्मराज ने
पूछा,” और वह दूत कहाँ है ?” “महाराज, वह लापता है |”
५२. राम ने कहा,
“ मैं कल चला जाऊँगा |”
५३. क्या आप
मुंबई जाएँगे ?
५४. ओह , यह क्या
हो गया ?
५५. नेता जी ने
कहा था,” तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हें आजादी दूँगा |”
५६. पहले मैं
स्टेशन जाऊं फिर गांधी नगर और एक बजे तक लौट भी आऊँ , यह तो हो ही नहीं सकता |
५७. मनोहर , मेरी
पुस्तक कहाँ रख दी है ?
५८. मैंने अपना
कार्य पूरा कर लिया है |
५९. बाबूजी !चलो,
आपको तमाशा दिखाता हूँ |
६०. मैं तो वहाँ
गया था, मोहन मिला ही नहीं | वहीँ बैठा रहता क्या ?
६१. कल्पना, जा
दौड़ कर मनीषा, लता और सुबोध को बुला ला |
६२. अरे, यह
तुमने क्या कर दिया ?
६३. शाबाश, तुमने
तो कमाल ही कर दिया |
६४. क्यों , अब
कैसा लग रहा है ?
६५. हाय, हाय ,
मार डाला |
६६. अच्छा, तुम
भी हवाई जहाज चलाओगे |
६७. शुभा, मुक्ता
और सुधा आ गईं हैं|
६८. तुम सब महेश,
गौरव तथा सुधीर कहाँ गए थे ?
६९. अरे, यह
पुस्तक तुम्हें कहाँ से मिली?
७०. रामधारी सिंह
दिनकर की उक्ति ‘क्षमा शोभती उस भुजंग को’ का
भाव स्पष्ट कीजिए |
७१. सुख-दुःख ,
हानि-लाभ सब भगवान् के हाथ में हैं |
७२. अरे, तुम लौट
भी आए |
७३. क्या आपने यह
पुस्तक पढ़ ली है ?
७४. रीता, गीता
और सीता चली गईं हैं |
७५. मित्र,
तुम्हारे बिना तो मैं उदास हो गया था |
७६. आप मुझे
पुस्तक देंगे या नहीं ?
७७. उपर्युक्त
मतों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-
७८. डा गुप्ता
अभी आए हैं या नहीं ?
७९. रामधारी सिंह
दिनकर ने रश्मिरथी की रचना की है |
८०. बहुत अधिक
सोचो मत , परीक्षा की तैयारी करो | आशा है, सफल हो जाओगे |
८१. उपनिषद में
कहा गया है –चरेवैती चरेवैती |
८२. लव-कुश सीता
के पुत्रों का जन्म वाल्मीकि मुनि के आश्रम में हुआ था |
८३. खाना-पीना,
खेलना-कूदना, सोना-जागना तो ज़रूरी है ही | पढ़ना-लिखना भी ज़रूरी है |
८४. आप इतनी
जल्दी क्यों जा रहे हैं ? क्या आपका मन यहाँ नहीं रमा ? जरा ठहर जाइए, मैं भी आपके साथ चलूँगा |
८५. वाह, तुमने
कमाल किया | सभी कुछ खा गए | मेरे लिए कुछ भी न रखा |
८६. पंडित
मनोहरलाल, एक विद्वान व्यक्ति, हमारे अध्यापक उदार और परिश्रमी हैं |
८७. वे कह रहे थे
,”हमें प्रात:काल उठकर सैर करनी चाहिए | सैर से स्वास्थ्य बनता है |’
८८. गाय दूध देती
है | भार ढोने वाले बच्चे पैदा करती है |
खाद के लिए गोबर देती है और औषधीय गुणों वाले मूत्र से भी उपकार करती है |
८९ रमेश ने सोहन
को पुकारा ,”ओ सोहन!’ पर सोहन ने कोई ध्यान न दिया | वह सोचता-सोचता राम, श्यामू और
मोहन के खेतों के पार निकल गया |
९०. जो व्यक्ति
बुद्धिमानी की बात नहीं करते | सहानुभूति के गुणों से रहित हैं | हमें कर्त्तव्य
का बोध भी नहीं कराते | ऐसे मित्रों का न होना ही भला है |
९१. सभी त्यौहार
होली, दीवाली , ईद , क्रिसमस मिलकर मनाओ |
९२. मैंने फिर संक्षेप
में निवेदन किया ,”देवी! क्या आज्ञा है ?” देवी ने क्षीण कंठ से कहा ,”चलो|”
९३. “अरे मूर्ख!
तू समझता क्यों नहीं ?” राजा ने क्रोध से कहा | “यह हमारे मान-अपमान का प्रश्न है
| अत: सोच –समझकर बोल |”
९४. “मैं तो ठहर
गया , बोल, तू कब ठहरेगा ?” गौतम ने कहा |
९५. “हैं! हमारी
सेना हार गई |” राजा ने आश्चर्य से कहा | “जी हाँ , यह सच है |” मंत्री ने विनीत
भाव से उत्तर दिया |
९६. वह सुशील ,
मिलनसार, योग्य और सुन्दर है | किन्तु थोड़ा सनकी है |
Answers:
१३. अरे, कहीं
बुखार भी झाड़-फूंक से उतरता है ?
This is very helpful in effective writing . Thank u mam
ReplyDeletethanku mam
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