मैं
वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई में भी हिंदी
पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में भाग "अ " जो भाषा के प्रश्नों से सम्बंधित होता है , उसमें प्रश्न तीन में एक अपठित गद्यांश पूछा जाता है जिसमें पाँच प्रश्न होते हैं और हर प्रश्न के लिए दो अंक होते हैं , कुल अंक दस होते हैं । इसी प्रश्न से सम्बंधित व्याकरण चौथे प्रश्न में पूछा जाता है जिसके लिए आठ अंक होते हैं । यहाँ मैं १९८२ से लेकर २०03 तक के अपठित गद्यांश प्रस्तुत कर रही हूँ जो मैंने एकत्रित किए है। मैं कुछ गद्यांशों के प्रश्नों के हल भी प्रस्तुत कर रही हूँ । इसके साथ प्रश्न चार भी यहाँ हल सहित प्रस्तुत है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी
उपयोगी होगी।
Question 3 answers 1982
१. दुर्भिक्ष के कारण लोगों की दशा
यह थी कि सब लोग भूख से मरने लगे. सब जगह त्राहि-त्राहि मच गई. प्रश्न था कि क्या
करें? कहां
जाएं? किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था. उन्हें कोई त्राता नज़र
नहीं आ रहा था |
२. बुद्ध को निराशा हुई क्योंकि अकालपीड़ितों के कष्टों को बुद्ध ने धर्म सभा में बताया जिसे धनाढ्य और सम्पन्न नागरिकों ने भी सुना| उन्होंने सभी को अकालपीड़ितों की सहायता करना एक मानवोचित कर्त्तव्य बताया पर बुद्ध के प्रेरणा देने पर भी किसी सेठ का हृदय द्रवित न हुआ|
३. बुद्ध ने कौतुहल से उस और देखा क्योंकि वह तेरह –चौदह वर्ष की एक बालिका थी जो नतमस्तक उनके सम्मुख खड़ी थी जबकि सब साधन-सम्पन्न व्यक्ति सहायता करने के लिए तैयार नहीं थे | बुद्ध ने कौतुहल से उस मधुर, सुखद और बारीक-सी आवाज को सुना और उस ओर देखा क्योंकि उन्होंने सुना कि भगवन , मैं इस कार्य को करुंगी|
२. बुद्ध को निराशा हुई क्योंकि अकालपीड़ितों के कष्टों को बुद्ध ने धर्म सभा में बताया जिसे धनाढ्य और सम्पन्न नागरिकों ने भी सुना| उन्होंने सभी को अकालपीड़ितों की सहायता करना एक मानवोचित कर्त्तव्य बताया पर बुद्ध के प्रेरणा देने पर भी किसी सेठ का हृदय द्रवित न हुआ|
३. बुद्ध ने कौतुहल से उस और देखा क्योंकि वह तेरह –चौदह वर्ष की एक बालिका थी जो नतमस्तक उनके सम्मुख खड़ी थी जबकि सब साधन-सम्पन्न व्यक्ति सहायता करने के लिए तैयार नहीं थे | बुद्ध ने कौतुहल से उस मधुर, सुखद और बारीक-सी आवाज को सुना और उस ओर देखा क्योंकि उन्होंने सुना कि भगवन , मैं इस कार्य को करुंगी|
४. बालिका ने बुद्ध को कहा कि वह घर –घर जाकर
एक –एक मुट्ठी अन्न मांगेगी और अकाल पीड़ितों की यथायोग्य सहायता करेगी | उसके इस
कथन को सुनकर और उसका उत्साह देखकर पाषाण हृदय धनी विचलित हो गए और उन्होंने इस
पुनीत कार्य में कटिबद्ध हो जुट जाने का निश्चय किया |
५. अंतिम परिच्छेद का भाव है कि हमें साहस से
अपने कष्टों का सामना करना चाहिए | कष्ट के सामने आत्मविश्वास रखते हुए अपनी
कर्त्तव्य निष्ठा भी बनाए रखनी चाहिए | समय के अनुसार योग्य निश्चय से काम करना
चाहिए क्योंकि एक छोटी चिंगारी ही बड़ी ज्वाला का रूप धारण कर बड़े से बड़े काम करती है | परोपकार के कार्य में छोटी या बड़ी
उम्र नहीं देखी जाती सिर्फ किए गए कार्य का महत्त्व और करने वाले के निश्चय को
देखा जाता है |
१९८२ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. उनके रोज के कामों को करने की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं हुआ
२. किसी भी धनी को अकालपीड़ितों की मदद करने की इच्छा नहीं हुई, उनमें ज़रा भी दया की भावना नहीं जागी
२.
१. अकाल २. जो नष्ट न हो ३. व्याख्यान/भाषण ४. जो मनुष्य के लिए उचित है
५. बोलने वाला/वादक ६. पत्थर/ पाहन
३.
१. कम २. निर्धन ३. आरम्भ
४. अनुपस्थित
५. आशा
६. कड़वा/कटु
४.
१. ताकि वे अधिक समय तक गुज़र-बसर कर सकें ।
२. लोगों का कुछ काल तक गुज़ारा हो गया।
३. वे धान्य के अतुल भण्डार से युक्त थे।
४. उनको एक मधुर आवाज़ सुनाई दी।
५. धनी लोग बालिका के उत्साह से विचलित हो गए।
१९८३ Question 3 answers
१. नानक ने शिष्यों से पूछा
की यह प्रासाद किसका है और इस पर सात झंडों के लहराने का कारण क्या है ? मार्ग में
उन्होंने किसी भवन पर सात झंडे लगे हुए देखे तो उनके मन में जिज्ञासा जागी जिसके
कारण उन्होंने यह प्रश्न पूछा |
२. शिष्य ने उत्तर दिया कि एक
वैभवशाली सेठ की यह कोठी है | जब उसके पास एक लाख की सम्पत्ति अर्जित हो जाती है
तो वह अपने मकान पर एक झंडा लगा देता है| ऐसा लगता है कि इस समय उसके पास सात लाख
रुपयों की संपदा है |
३. गुरुनानक देव जी ने सेठ
को सोने की सुई दी क्योंकि रास्ते में डाकुओं का भय था और डाकू उनसे वह सुई लूट
लेते इसलिए वह चाहते थे कि सेठ उस सुई को अपने
पास सुरक्षित रख ले | वे उस सुई को सेठ से अगले जन्म में देवलोक में ले लेंगे | पर
वास्तव में वे सेठ को सिखाना चाहते थे कि उसके द्वारा अर्जित सम्पदा का मोल नहीं
है क्योंकि सब यहीं इस दुनिया में मरने के बाद रह जाता है |
४. सेठ को वास्तविक ज्ञान तब
हुआ जब नानक जी ने सेठ को सोने की सुई सुरक्षित रखने के लिए कहकर अगले जन्म में
देवलोक में वापिस देने को कहा तो सेठ ने आश्चर्य से कहा कि यह संभव नहीं है
क्योंकि परलोक में तो मनुष्य कुछ भी साथ नहीं ले जा सकता , सब यहीं का यहीं रह
जाता है तो गुरुनानक देव जी ने सेठ से कहा कि जब आप अपनी संगृहीत सात लाख सम्पदा
को साथ ले जा सकते हैं तो इस सोने की सुई का वजन तो कुछ भी नहीं है , इसे भी साथ
ले जाना | यह सुनकर सेठ को वस्तु-स्थिति की पहचान हुई और वह नानकदेव जी के कथन का
मर्म जान गया और उसका अहं खत्म हो गया |
५. उपकार के लिए संगृहीत धन
को खर्च करना चाहिए क्योंकि जो आता है , वह जाता है यानि जो व्यक्ति जन्म लेता है ,
वह अवश्य ही मरता है और अपने साथ वह किसी भी पदार्थ को नहीं ले जा सकता | जिस
प्रकार वह खाली हाथ आता है , उसी प्रकार वह खाली हाथ जाता है | अत: हमें प्राप्त
धन का उपयोग उपकार में अपने जीते जी लगाना चाहिए जिसके उसका सही उपयोग हो |
१९८३ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. बहुत प्रसिद्ध/नामी/विख्यात २. जानने की इच्छा/उत्कंठा ३. महल/बड़ा घर ४. सम्पत्ति/धन-दौलत
५. संग्रह किया हुआ ६. सच्चा/यथार्थ/जो वास्तव में हो
२.
१. मन की आँखें खुलना अथवा सच्चाई समझ पाना/अपनी आत्मा की आवाज़ सुन पाना २. घमंड के मद का मिट जाना अथवा अभिमान का खत्म हो जाना
३.
१. सुप्त
२. क्रूर/निष्ठुर
३. मरण
४. कठोर
५. निर्माण
६. अपकार
४.
१. जैसे ही मालिक को पता चला तो वह सामने आया।
२. हम आपसे यह सुई वापिस अगले जन्म में ले लेंगे।
३. मैंने आपसे सही तथ्य जान लिया है।
४. मुझे चाहिए कि मैं अपना सारा संग्रह उपकार में लगाऊँ।
५. एक लाख की सम्पत्ति इकट्ठी/संगृहीत हो जाने पर वह अपने भवन पर एक झंडा लगा देता है।
१९८४ Question 3 answers
१. शिष्य सुकरात को दर्पण
में देखता पाकर आश्चर्यचकित हुआ | वह कुछ बोला नहीं पर मुस्कराने लगा |
२. सुकरात ने शिष्य को
मुस्कराते देख सारी बात समझ ली और उन्होंने शिष्य से कहा कि उन्हें उसकी मुस्कराहट
का कारण समझ आ गया है क्योंकि तुम यह सोच रहे हो कि मुझ जैसा असुंदर व्यक्ति आखिर
शीशा क्यों देख रहा है | शिष्य चुप रहा मानो उसकी चोरी पकड़ी गई थी और उसने लज्जा
से अपना सिर झुका लिया | वह धरती की तरफ देखता खडा रहा|
३. सुकरात ने प्रतिदिन शीशा
देखने का कारण बताया कि वह प्रतिदिन इसलिए शीशा देखते हैं क्योंकि शीशा देखकर
उन्हें अपनी असुन्दरता का भान हो जाता है | वह अपने रूप को जानते हैं इसलिए वह
प्रतिदिन यही प्रयत्न करते हैं कि वे ऐसे अच्छे काम करें जिनसे उनकी कुरूपता ढक
जाए |
४. शिष्य के मन में सुकरात
की बात सुनकर यह शंका उठी कि सुन्दर मनुष्यों को फिर शीशा नहीं देखना चाहिए और
उसकी यह शंका स्वाभाविक थी |
५. गुरु ने शिष्य की शंका का
समाधान करते हुए कहा कि सुन्दर मनुष्यों को भी शीशा अवश्य देखना चाहिए क्योंकि
उन्हें स्मरण रहे कि वे जितने सुन्दर हैं , उतने ही सुन्दर वे काम करें अन्यथा
बुरे काम उनकी सुन्दरता को भी कुरूप बना देंगे |
६. इस अवतरण का उचित शीर्षक
है – सुकरात और शिष्य के बीच दार्शनिक संवाद
|
१९८४ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. अकेले
२. शायद संभव है
३. फिर
४. जो शिक्षा दे/शिक्षा मिले
५. प्राकृतिक स्वभाव के अनुसार
२.
१. सुरूप/सुन्दर
२. मूर्ख
३. अप्रिय
४. मुखर
५. आकाश
६. विस्मरण
३.
१. उनके प्रिय शिष्य ने कमरे में प्रवेश किया।
२. सुकरात सब बात समझ गया।
३. मुझे तुम्हारी मुस्कराहट का कारण समझ आ गया है।
४. उसने लज्जा से अपना सिर झुका लिया।
५. मैं सुन्दर नहीं हूँ।
६. जिससे मैं इस कुरूपता को ढक लूँ/ढक सकूँ।
७. बुरे कामों से उनकी सुंदरता और भी कुरूप बन जाएगी।
१९८५ Question 3 Answers
१.
हृदय परिवर्तन का अर्थ है –दिल के भाव बदल जाना
यानि अवचेतन मन का कोई भी सुप्त संस्कार जब जागता है तो वह चेतन मन में प्रविष्ट
होता है और तब मानव आचरण पूरी तरह से बदल जाता है जैसे कोई सज्जन दुर्जन तो दुर्जन
सज्जन , पापात्मा पुण्यात्मा और पुण्यात्मा पापात्मा बन जाता है |
२.
अशोक ने कलिंग युद्ध के भीषण रक्तपात से प्रभावित
होकर शस्त्र त्याग किया था और , परिणाम यह हुआ कि वह बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया
था |
३.
उस दिन के ‘मिशन’ का नेता कैप्टन चेशायर थे |
उस ‘मिशन’ का उद्देश्य था कि उस दिन केवल बम ही नहीं गिराना था अपितु अपने साथियों
का उचित मार्ग-दर्शन भी करना था |
४.
‘मिशन’ की सफलता का राज था कि कैप्टन चैशायर ने
अपना कर्त्तव्य बखूबी से निभाया | उस की बमवर्षा से मीलों लंबा इलाका शमशान भूमि
में बदल गया |
५.
चालक स्वदेश लौट गया क्योंकि अपने हाथों उसे इस
विनाश को देख उसका हृदय द्रवित हो गया , उसकी आत्मा काँप गई| उसके लगा कि उसने यह
क्या कर दिया और तभी उसने एक कान्तिकारी निर्णय लिया | वह विमान अड्डे पर लौटा और
उसने किसी की बधाई की परवाह नहीं की | वह सीधा युद्ध कार्यालय गया और अपने पद से
तत्काल त्याग –पत्र देकर अपने स्वदेश रवाना हो गया | स्वदेश में उसने अपनी चल-अचल
सम्पत्ति बेच दी और उससे मिली धनराशि से अनाथ बच्चों के लिए एक ‘घर’ बनाया |
६.
‘चैशायर’ के बनाए हुए ‘घर’ संसार में अनाथ
बच्चों को जीवनदान दे रहे हैं | इसके साथ ही ये घर जन मानस को युद्ध की विभीषिका
से भी अवगत करा रहे हैं |
१९८५ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. अचानक/एकाएक/सहसा
२. मशहूर/विख्यात
३. जो काफी अनुभव रखता है/तुजरबेदार
४. रास्ता दिखाना
५. फैसला
६. भयंकरता
२.
१. निष्क्रिय
२. दयालु/दयावान ३. आकाश
४. अनुचित
५. निर्माण
६. विदेश
३.
१. धरती पर बम्बों का प्रयोग हो रहा था जिससे लोगों की मृत्यु हो रही थी। इस कारण हर जगह मौत ही मौत दिखती थी।
२. उसका मन डर गया। वह अंदर तक हिल गया।
३.
१. इस घटना से सत्य का प्रमाण मिलता है।
२. मानव आचरण पूर्ण रूप से परिवर्तित हो जाता है।
३. तब ऐसा लगता कि मानो बमों के रूप में मौत धरती पर उतर आई हो।
४. उसने बमवर्षा कर मीलों इलाका श्मशान भूमि में बदल दिया।
५. उसने एक ऐसा निर्णय लिया जो क्रान्तिकारी था।
६. उसने अपनी सारी ज़मीन-जायदाद बेच दी।
१९८६ Question 3 Answers
१.
इंग्लैण्ड के एक नगर में एक विशाल समारोह का
आयोजन किया गया था , भारतीय विद्वान को उस समारोह की अध्यक्षता के लिए आमंत्रित
किया गया था |
२.
भारतीय विद्वान निश्चित दिन और निश्चित समय उस
सभा स्थल पर पहुँच गए | वहाँ उन्होंने देखा कि सभा में सम्मिलित होने के लिए आई
हुई सारी भीड़ एक और खड़ी हुई है , कोई भी व्यक्ति सभा-स्थल पर बैठा हुआ नहीं था |
भारतीय विद्वान ने सभा के संयोजकों से इसका कारण पूछा |
३.
संयोजकों ने उत्तर दिया कि सफाई –कर्मचारियों
के न आने के कारण अभी तक सभा स्थल की सफाई नहीं हुई है और इस कारण सब लोग खड़े हैं |
४.
सभा –स्थल की सफाई के लिए भारतीय विद्वान ने
ब्रश उठाया जब संयोजकों ने कहा कि सभा स्थल की सफाई सफाई कर्मचारियों के न आने के
कारण अभी तक नहीं हुई है और समारोह निर्धारित समय पर नहीं हो पाएगा , कुछ
प्रतीक्षा करनी पड़ेगी |
५.
मुख्य अतिथि अथवा भारतीय विद्वान को सफाई करते
देख संयोजकों ने कहा कि सफाई करने का काम आप जैसे महान व्यक्ति के अनुरूप नहीं है |
तब भारतीय विद्वान ने कहा कि कोई भी कार्य बुआ नहीं होता | प्रत्येक व्यक्ति को
आत्मनिर्भर होना चाहिए और यह तभी संभव है जब हर व्यक्ति अपना काम स्वयं कर और
दूसरे के भरोसे न रहे और न ही किसी पर आश्रित रहे क्योंकि दूसरों के सहारे रहने
वाले जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते | यह सुनकर आयोजकों का सिर लज्जा से झुक गया |
६.
अंतिम परिच्छेद का सार है कि मनुष्य के लिए
प्रत्येक कार्य महत्त्वपूर्ण और सम्माननीय है | मनुष्य का सम्मान मेहनत करने में
है न कि कार्य में | कोई भी कार्य अपने में अच्छा या बुरा नहीं होता बल्कि अच्छा
या बुरा कार्य करने वाला कर्ता और देखने वाले अथवा द्रष्टा का कार्य के प्रति भाव
ही अच्छा या बुरा होता है | इस प्रकार महानता का आधार कार्य के प्रति कर्ता का
दृष्टिकोण है न कि कार्य |
१९८६ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. स्थान/जगह २. निश्चित/ तय किया हुआ
३. इंतज़ार
४. लीन/लगे होना
५. घमंड से/गर्व के साथ
६. दर्शक/देखने वाला
२.
१. क्षुद्र/लघु
२. अनेक
३ समष्टि ४. गंदगी ५. गौण ६. क्षुद्रता/लघुता
३.
१. आयोजकों को कुछ समझ न आया, उन्हें कुछ करते न बना। जब उन्होंने उन्हें झाड़ू लगाते देखा।
२. आयोजकों को लगा कि भारतीय विद्वान इतने महान हैं कि उन्हें सफाई जैसा छोटा काम नहीं करना चाहिए। वे उनके लिए उपयुक्त नहीं है।
४.
१. एक विशाल समारोह आयोजित किया गया था।
२. सभा में सम्मिलित होने के लिए हुआ सारा जनसमूह एक ओर खड़ा था।
३. समारोह उस समय पर नहीं होगा जिस समय होने वाला था।
४. दूसरों के सहारे रहने वालों को जीवन में कभी सफलता नहीं मिल सकती।
५. आयोजकों ने अपना सिर लज्जा से झुका लिया।
Question 3 1987
Read the passage given below carefully and
answer in Hindi the questions that follow using your own laanguage as
far as possible:
नीचे लिखे गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए।उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए-
फिलस्तीन देश की एक कथा है।एक बार किसी पंडित ने भगवान ईसा से प्रश्न किया, "हमारा पड़ोसी कौन है?" इस पर उन्होंने कहा, एक समय एक यहूदी नवयुवक युरोसलीम से येरिखो की यात्रा कर रहा था।मार्ग में बीहड़ जंगल पड़ता था, जो डाकुओं का अड्डा था।जब वह यात्री वन के मध्य में पहुँचा तो एकाएक ही लुटेरे चारों ओर से उस पर टूट पड़े, उसकी सारी धन-सम्पत्ति लूट ली, उसको मारते-मारते अधमरा कर दिया और वहाँ से छूमन्तर हो गए।
कुछ घंटों के पश्चात एक यहूदी पुरोहित उसी मार्ग से गुज़रा और उसने उस घायल यहूदी को असहाय दशा में पड़ा देखा।परन्तु उसके हृदय में दया नहीं जागी।अत: वह उसको उसके हाल पर छोड़कर वहाँ से चलता बना।थोड़ी देर के बाद एक "लेवी" भी उसी रास्ते से गुज़रा।लेवी समाज के लोग पूजा-पाठ के समय मंदिरों में पुरोहितों का हाथ बंटाते थे।किन्तु उस असहाय-युवक को देखकर इस का मन भी नहीं पसीजा।वह निष्ठुर भी अपनी राह चला गया।
इन दोनों यात्रियों के जाने के बाद समारिया प्रान्त का एक निवासी उसी मार्ग से गुज़रा।जब उसने घायल यहूदी को ऐसी दयनीय दशा में देखा तो उसका हृदय करुणा से विह्वल हो उठा।वह आदमी अपनी सवारी से उतरा और उस यहूदी युवक को होश में लाया।उसके घावों को धोकर उनकी मरहम-पट्टी की और उसे अपनी सवारी पर बैठा कर सराय में लाया।जाते समय उसने भटियारे से कहा," आप भली भान्ति इसकी सेवा-शुश्रुषा कीजिए।जब मैं लौटूंगा तो आपकी लागत अदा कर दूंगा।"
इसके बाद भगवान ईसा ने उस प्रश्नकर्ता पंडित से पूछा," बताइए, आपके मतानुसार इनमें से कौन उस यहूदी का पड़ोसी था?" तुरन्त ही निस्संकोच भाव से पंडित बोला, "निश्चय ही वह अपरिचित समारी ही उसका पड़ोसी सिद्ध हुआ, जिसने कुसमय में उसकी यथोचित देखभाल करके उसके प्राण बचाए।"
१. डाकुओं ने किसको लूटा और कहाँ ?
(५)
२.उस घायल यहूदी के पास से गुज़रने वाले पहले दो व्यक्ति कौन थे और उन्होंने क्या किया?
(६)
३. किसका "हृदय करुणा से पिघल गया" और उसने क्या किया?
(८)
४. पंडित के विचार में पड़ोसी कौन था और क्यों? (६)
५. इस कथा से जो शिक्षा मिलती है वह लगभग ४० शब्दों में लिखिए।
(५)
Question 4
(a.) Give the meanings of the following
words:
नीचे लिखे शब्दों के अर्थ लिखिए-
(३)
१. बीहड़
२. असहाय
३. निष्ठुर
४. विह्वल
५. अपरिचित
६. यथोचित
(b.) Give the Antonyms of the following
words:
नीचे लिखे शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए-
(३)
१. पंडित
२. प्रश्न
३. दया
४. एक
५. निस्संकोच
६. कुसमय
(c.) Do as directed:
सूचना के अनुसार वाक्यों में उचित परिवर्तन कीजिए-
(५)
१. एक यहूदी नवयुवक युरोसलीम से येरिखो की यात्रा कर रहा था। (लिंग बदलिए)
२. लुटेरे चारों ओर से उस पर टूट पड़े।
(लुटेरों ने........ से वाक्य शुरु कीजिए)
३. उसकी सारी धन-सम्पत्ति लूट ली।
("माल-असबाब" का प्रयोग कीजिए)
४. उसकोमारते-मारतेअधमराकरदिया।
(उसकोइतना....... सेवाक्यशुरुकीजिए)
५. उसके हृदय में थोड़ी-सी भी दया न आई।
(रहम- का प्रयोग कीजिए)
(d.) (डाकू) वहाँ से छूमन्तर हो गए।
"छूमन्तरहोजाना" एक मुहावरा है जिसका अर्थ है- भाग जाना।
Give the meanings of any two of the folloing
idioms and use them in sentences of your own:
नीचे लिखे मुहावरों में से किन्हीं दो के अर्थ दीजिए और उन मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
१. हथेली पर सरसों जमाना
२. घी के दिए जलाना
३. आटे-दाल का भाव मालूम होना
४. पगड़ी उछालना
५. गड़े मुर्दे उखाड़ना
१९८७ Question 3 Answers
१. डाकुओं ने एक यहूदी नवयुवक
को जो युरोसलिम से येरिखो की यात्रा कर रहा था , उसे लूटा | डाकुओं ने उसे मार्ग
में पड़ने वाले बीहड़ जंगल के मध्य में पहुँचने पर लूटा | उन्होंने ने उस पर चारों ओर
से आक्रमण किया और उसकी धन-सम्पत्ति लूटकर उसे इतना मारा कि वह अधमरा हो गया और
डाकू वहाँ से छूमंतर हो गए |
२. उस घायल यहूदी के पास से
गुजरने वाले पहले दो व्यक्ति थे – एक यहूदी पुरोहित और लेवी | यहूदी पुरोहित ने
उसे असहाय दशा में देखा पर उसके हृदय में दया नहीं जागी और वह उसको उस हाल में
छोड़कर वहां से चलता बना | लेवी समाज के लोग पूजा पाठ के समय मंदिरों में पुरोहितों
का हाथ बंटाते हैं पर उसकी असहाय दशा देखकर उसका मन भी नहीं पिघला और वह निष्ठुर
हो अपनी राह चला गया |
३. समारिया प्रांत के एक
निवासी का हृदय करुणा से पिघल गया और वह अपनी सवारी से उतारा , उस यहूदी युवक को
होश में लाया | उसके घावों को धोकर उनकी मरहम पट्टी की और उसे अपनी सवारी में
बैठाकर सराय में लाया | जाते समय उसने भटियारे से कहा कि वह इस यहूदी का भली भांति
ध्यान रख उसकी सेवा –सुश्रुषा करे और वह लौटने पर उसका मूल्य चुका देगा |
४. पंडित के विचार में पडोसी
अपरिचित समारी ही उसका पडोसी था क्योंकि कुसमय में उसकी यथोचित देखभाल से ही उस
यहूदी के प्राण बचे थे |
५. इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि बुरे समय में
जो भी किसी के काम आता है और उसकी सहायता करता है , वही वास्तव में सच्चा पड़ोसी और
मित्र है | इसलिए हमें किसी की भी बुरे समय में सहायता करनी चाहिए ताकि कोई भी
बिना वजह अपनी जान गँवा न सके |
१.
१. विकट
२. बेसहारा ३. क्रूर/कठोर
४. व्याकुल
५. अनजान
६. जैसा उचित/ठीक हो
२.
१. मूर्ख
२. उत्तर
३. निर्दयता
४. अनेक
५. संकोच
६. सुसमय
३.
१. एक यहूदी नवयुवती युरोसलीम से येरिखो की यात्रा कर रही थी।
२. लुटेरों ने चारों ओर से उस पर धावा किया।
३. उसका सारा माल-असवाब लूट लिया।
४. उसको इतना मारा कि वह अधमरा-सा हो गया।
५. उसके हृदय में रहम के लिए कोई स्थान नहीं था।
५.
१. कठिन काम करना- इस बंजर भूमि पर खेती करना मानो हथेली पर सरसों जमाने जैसा है।
२. खुशियाँ मनाना- अपने पिता को इतने वर्षों के बाद देख हम सबने घी के दिए जलाए।
३. सांसारिक झंझटों की जानकारी- रमेश को अपने परिवार से अलग हो जाने पर ही आटे दाल का भाव मालूम हुआ।
४. अपमान करना-दहेज की माँग पूरी न होने पर लड़के वालों ने लड़की वालों की पगड़ी सबके सामने उछाल दी।
५. बीती बातों की चर्चा करना- दादी यदा-कदा गड़े मुर्दे उखाड़कर स्वयं ही दु:खी हो जाती है।
१९८८ Question 3 Answers
१. महात्मा बुद्ध के पास एक व्यक्ति
आया क्योंकि उसे लगा कि महात्मा बुद्ध चार मास से जो कथन कह रहे हैं उसका कोई भी
प्रभाव उस पर नहीं पडा है |
२. उस व्यक्ति ने महात्मा बुद्ध
से कहा कि वह एक मास से उनके प्रवचन सुन रहा है | परन्तु उनका उस पर कोई प्रभाव
नहीं पड़ा | बुद्ध के अनुसार क्रोध मत करो पर उसका तो बात-बात पर पारा चढ़ जाता है |
बुद्ध के अनुसार मोह मत करो पर उसका मन तो पाषाण की तरह है | बुद्ध कहते हैं कि सब
के लिए करुणा भाव रखो पर उसका मन तो पाषाण की तरह है | वह बड़ी आशा लेकर उनके पास
आया था पर उनके प्रवचनों का कोई परिणाम नहीं निकला |
३. राजगृह और श्रावस्ती के
विषय में बुद्ध और उस व्यक्ति के बीच यह वार्तालाप हुआ कि बुद्ध ने उससे पूछा कि
वह कहाँ का रहने वाला है | उसका जवाब था –श्रावस्ती | बुद्ध ने तब पूछा कि इस समय
वह कहाँ है –राजगृह | तब बुद्ध ने उससे श्रावस्ती और राजगृह के बीच की दूरी पूछी |
व्यक्ति को वह दूरी अच्छी तरह से पता थी | उसने बुद्ध को बताया कि वहाँ पहुँचने
में पैदल जाने पर चार सप्ताह लगते हैं | वाहन से जाने पर एक सप्ताह लगता है | तब
बुद्ध ने उस व्यक्ति से प्रश्न किया कि क्या बिना चले , यहीं बैठे-बैठे वह
श्रावस्ती पहुँच सकता है | बुद्ध के प्रश्न से वह व्यक्ति विस्मय विमूढ़ हो उन्हें
टुकुर टुकुर देखने लगा |
४. टुकुर टुकुर वह व्यक्ति
बुद्ध को देखने लगा क्योंकि बुद्ध के यह पूछने पर कि क्या बिना चले, यहीं बैठे –बैठे
वह श्रावस्ती पहुँच सकता है | बुद्ध के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उस व्यक्ति ने
उन्हें कहा कि आपका प्रश्न विचित्र है क्योंकि यहाँ से चलेंगे तभी तो वहाँ
पहुंचेंगे | बिना चले , यहाँ बैठे-बैठे वहाँ कैसे पहुँचा जा सकता है |
५. बुद्ध ने तब उस व्यक्ति
को हँसते हुए समझाया कि यही तो वे उसे समझाना चाहते हैं | चलने से ही मनुष्य अपने
लक्ष्य पर पहुंचता है | वह जो प्रतिदिन प्रवचन देते हैं , वह उन्हें मात्र सुनता
है , उस पर न तो आचरण करता है और न कभी ऐसा करने का प्रयास ही करता है | जो वह
कहते हैं और वह सुनता है पर यदि वह उस पर आचरण नहीं करेगा तो उसे लाभ कैसे होगा ?
ऐसी दशा में लाभ या प्रभाव की इच्छा ऐसी है जैसे कि आकाश कुसुम प्राप्त करना |
६. वह व्यक्ति यह चूक कर रहा
था कि वह मात्र बुद्ध के प्रवचन सुन रहा था पर उन पर न तो आचरण कर रहा था और न कभी
उन पर आचरण करने का प्रयास ही कर रहा था | इसलिए आचरण ने करने पर न तो उस पर
प्रभाव पड़ेगा और न ही उसे कोई लाभ मिलेगा | बिना आचरण किए लाभ और प्रभाव पाने की
इच्छा आकाश कुसुम पाने जैसी है | इसलिए ज़रूरी है कि अच्छी बात सुनो पर ज्यादा
ज़रूरी है कि अपने जीवन को उस अच्छी बात के अनुसार ढालो और उस पर अमल करो |
१९८८ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. भाषण/व्याख्यान
२. लगातार/निरंतर
३. डूबा हुआ/लीन
४. पत्थर
५. मनन/सोचना
६. मंज़िल/उद्देश्य
२.
१. आगत
२. निर्दयता/क्रूरता
३. निराशा
४. निकटता
५. उत्तर
६. हानि
३.
१. फल ऐसा नहीं आया कि जिससे किसी का उत्साह बढ़े अथवा उसे जोश आए और वह कुछ करे।
२. वह आदमी अवाक था और बुद्ध की ओर एकटक देखने लगा। उसे कुछ सूझा ही नहीं।
३. फायदा होना या फायदे की कामना करना बहुत मुश्किल अथवा असंभव है।
४.
१. चाटुकारिता/चापलूसी करना- नौकरी पाने के लिए उसे सबके तलवे चाटने पड़े।
२. कठिन काम करना- कर्मवीर लोहे के चने चबाने वाले काम सरलता से कर सकते हैं।
३. बेसहारों का सहारा होना- श्रवण के माता-पिता के लिए श्रवण अंधे की लकड़ी था।
४. गुस्सा/क्रोध आना- सबके सामने अपने पिता का अपमान होते देख उसका खून खौल उठा।
५. दोष देना/दोष लगाना- किसी निर्दोष पर उंगली उठाना गल्त है।
५.
१. उससे मैं किसी भी तरह प्रभावित नहीं हुआ।
२. बुद्ध थोड़ा-सा मुस्कराते हुए बोले।
३. यदि चले नहीं तो श्रावस्ती कैसे पहुँचोगे?
४. बिना आचरण किए लाभ कैसे पाओगे?
५. वह व्यक्ति जान गया/समझ गया कि चूक कहाँ है?
१९९३ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. आलीशान
२. बलिदान
३. अर्थपूर्ण
४. काफी
५. मत
६. बन्धन
२.
१. कंटकित- पैरों की पीड़ा पर ध्यान न देने से कंटकित पथ आसान हो जाता है।
२. पृथ्वीय- पृथ्वीय वातावरण आजकल दूषित होता जा रहा है।
३. निर्णायक- निर्णायक मण्डल ने अपना निर्णय सुनाया।
४. सामूहिक-दक्षिण में विशेष पर्वों पर सामूहिक नृत्य होते हैं।
५. भीतरी- पृथ्वी की भीतरी परत आग के समान गर्म है।
३.
१. आजाद को ऐसी लोकप्रियता मिली जो अद्वितीय थी।
२. आजाद ने झुकना स्वीकार नहीं किया।
३. उन्हें यह सच्ची लगन थी कि आदर्शों पर मर मिटा जाए।
४. इन दोनों सज़्ज़नों को स्त्रियों के हाथों खूब मरम्मत करानी पड़ी।
४.
१. गर्मियों की छुट्टियों में मेरा मित्र सपरिवार नैनीताल गया था।
२. मेरे पड़ोसी ने निर्धनता के कारण सायास एक वर्ष व्यतीत किया।
३. न्यायाधीश ने गवाह से सकारण उत्तर देने के लिए कहा।
४. बाढ़ के आने पर बड़े से बड़े पेड़ समूल नष्ट हो जाते हैं।
१९९५ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. पहले की तरह २. जिसकी तुलना न की गई हो ३. विद्वान ४. ऐसी इच्छा जो ब कभी पूरी न हो ५. कहीं और/ अन्य स्थान
६. कालापन/बुराई
२.
१. खण्ड
२. मूर्ख
३. निराशा
४. अशांत
५. गौण
६. अभेद
३.
१. राजा का वैभव देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।
२. मालिक ने अपने नौकर को घर से निकाल तो दिया पर उसकी बात उसे लग गई।
३. मैंने उसे कसौटी पर कस लिया है। अत: अब तुम उस पर विश्वास कर सकते हो।
४.
१. वर्णनीय २. दर्शनीय ३. खाद्य ४. पठनीय
५.
१. सोलन का कहना था कि अमुक गाँव का अमुक किसान जैसा सुखी उसने किसी को नहीं देखा।
२. प्रभुता तथा धन संसार के मुख्य आधार दोनों ही मेरे पास हैं।
३. सुख और शान्ति मनुष्य को धन और ऐश्वर्य की अधिकता नहीं दे सकतीं।
४. उसको अपना हृदय टटोलने पर लगा कि वाकई वहाँ शान्ति नहीं थी।
१९९६ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. प्रतिदिन/ सदैव
२. शरीर से बहुत पतला अथवा दुर्बल
३. घूमना/यात्रा ४. केवल हड्डियों का ढाँचा
५. इच्छा
६. छुटकारा
२.
१. विनाश
२. शान्ति
३. दुरात्मा
४. शहरी
५. विद्वता
६. नि:स्वार्थ
३.
१. नृप, नरेश, नरपति
२. देवालय, देवस्थान
३. सुत, तनय ४. परमात्मा, ईश्वर
५. पानी, नीर
६. सरोवर , तालाब
४.
१. इस वाक्य का अर्थ यह है कि जब व्यक्ति बहुत दुर्बल हो जाता है तो उसके शरीर में रक्त की कमी हो जाती है। मांस शरीर से चिपक जाता है और हड्डियाँ दिखाई देने लगती हैं। ऐसे व्यक्ति को देखकर लगता है कि यह व्यक्ति नहीं मानो हड्डियों का बना ढाँचा हो।
२. उन्हें सम्मान सहित राज्य सभा में स्थान दिया गया अर्थात राज्य की ओर से उन्हें सम्मान दिया गया।
५.
१. उन्हें सदा भगवान का ध्यान रहता है।
२. एक देहाती मैले कपड़े पहने उसके साथ था।
३. किसी के मांगने पर उसे मुट्ठी भर अन्न दे देता हूँ।
१९९७ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. सहायता पाने के योग्य
२. परिवार
३. सिद्धान्त
४. विवश/मज़बूर
५. वर्णन . साफ
२.
१. अवाचक
२. दुरुपयोग
३. अनावश्यक
४. पर्यायवाची
५. सदाचार
६. दुरात्मा
३.
१. बहुत नामी/प्रसिद्ध- वह पहुँचे हुए महात्मा किसी से कुछ नहीं लेते।
२. व्यतीत करना/बिताना- इतने कम रुपयों में तुम्हारी गुजर बसर होना मुश्किल है।
३. भीख माँगना-किसी के आगे हाथ फैलाना शर्मनाक है।
४. चकित होना- छोटे जादूगर का खेल देख सब ठगे से रह गए।
४.
१. उनके एक धनी शिष्य ने दान के लिए कुछ रकम निकाल रखी थी।
२. एक मरे हुए पक्षी को जो अपने कपड़ों में छिपाए हुए था, निकालकर फेंक दिया।
३. एक सोने की मोहर एक गरीब अंधे को देखकर उसे सुपात्र समझकर दे दी।
४. धन यदि अन्यायपूर्वक कमाया गया हो तो दुराचार में ही लगता है।
५. आज सात दिन से मेरा कुटुम्ब अन्न के दाने के लिए तरस रहा है।
१९९८ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. रक्त २. बाद
३. अथाह
४. बिस्तर
५. बाद में पछताना
६. मन के विचार
२.
१. लाभ
२. अक्रोध
३. सौभाग्य
४. परोक्ष/विमुख
५. दूर
६. कारण
३.
१. मन, दिल, उर
२. भुजंग, नाग, अहि
३. अरि, वैरी, दुश्मन
४. कार्य, काज, काम
५. हत्या, हनन
६. रुदन , प्रलाप
४.
१. नेवला साँप के डस लेने वाले मन के विचार को समझ गया कि यह निश्चय ही सोए बच्चे को डंक मारेगा।
२. उसका यानि कि ब्राह्मणी का बेटा पहले की तरह बिछौने पर सोया हुआ था अर्थात वह सुरक्षित था।
५.
१. ब्राह्मणी को उस पर हमेशा सन्देह रहता था।
२. एक नेवली ने भी एक नेवले को जन्म दिया।
३. संसार सदा उसका उपहास करता है।
१९९९- २००० प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. प्रसिद्ध
२. दुष्कर
३. महल
४. लालच
५. सलाह-मशविरा
६. अंत:करण
२.
१. अक्षमता २. कृतघ्नता
३. अनुपलब्ध
४. दोषी
५. रंक
६. मृत्यु
३.
१. गलत मित्रों की संगति में पड़कर राम की आँखों पर परदा पड़ गया और वह अपने सच्चे मित्रों को अपना दुश्मन समझने लगा।
२. एकलौते बेटे की मृत्यु से घर का एकलौता दीपक भी बुझ गया।
३. गरीब बालक की बीमारी की हालत देखकर श्याम में उदारता का अंकुर फूटने लगा।
४. शीतल की आँखें खुल गईं जब उसने अपने स्वार्थी मित्रों का शीतल से काम निकलवाने के बाद का व्यवहार देखा।
४.
१. भीषण रोग ने रोम के राजा को पीड़ित कर दिया।
२. राजा के रोग ने सारे देश को उदास कर दिया।
३. एक विशेष औषधि का सेवन आपके रोग का निदान कर सकता है।
2001 Question 3 answers
२००१ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. सुरक्षा
२. सलाह
३. कारण/हेतु
४. आज्ञा
५. सामने
६. महसूस/अनुभव
२.
१. विशेष/खास
२. इनाम
३. प्रथम
४. दोषी
५. नरम
६. फायदा
३.
१. अच्छा लगना- गर्म-गर्म समोसे मेरे मन को बहुत भाते हैं।
२. गुस्सा होना/क्रोधित होना- जब मैं परीक्षा में कम अंक लाया तो माता-पिता आग बबूला हुए।
३. शर्मिन्दा होना/लज्जित होना-सबके सामने मार पड़ने पर वह अपना सा मुँह लेकर रह गया।
४. बिना सोचे समझे- माँ ने आव देखा न ताव उसे इतनी जोर से डंडा मारा कि वह तुरन्त बेहोश हो गया।
४.
१. उन्होंने कारागार में जाकर सेवक से सारी बात की जानकारी ली।
२. वे तीनों फूलदान महाराज की अनुमति से उसके सम्मुख लाए गए।
३. इन फूलदानों की कीमत मनुष्यों के जीवन से अधिक नहीं है।
२००२ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. आकांक्षा
२. सौतेली माता ३. कठिनाई
४. दुश्मनी से भरा ५. मज़बूर
६. हठ
२.
१. सम्मानित
२.शाप
३. कोमल
४. अनिश्चय
५. बुराई
६. क्रोधित
३.
१. काल के गाल में समाना- कार्गिल युद्ध में अनेक वीर काल के गाल में समा गए।
२. मन मसोस कर रह जाना- मेरे सभी मित्र परीक्षा के बाद फिल्म देखने गए। मेरी माता जी ने मुझे जाने की इजाज़त नहीं दी तो मैं मन मसोस कर रह गया।
३. घुटने टेकना- भारतीय सैनिकों के युद्ध कौशल के सामने दुश्मन के सैनिकों को घुटने टेकने ही पड़ते हैं।
४. एक न चली- मेरी बुआ जब भी आती हैं उनके सामने किसी की एक भी नहीं चलती, सब उनसे डरते हैं।
४.
१. माँ पुत्र को तप करने के लिए प्रेरित करती है।
२. जब ध्रुव तप करने जा रहे थे तब उन्हें मार्ग में नारद मिले।
३. अन्त में यक्षों ने घुटने टेक दिए क्योंकि ध्रुव के आगे उनकी एक न चली।
२००३ प्रश्न ४ का उत्तर
१.
१. भय से आतुर
२. लुप्त
३. कर्म का बन्धन
४. शरण में आया हुआ
५. दूर करना
६. बहुत समय तक
२.
१. पापात्मा
२. निर्माण
३. त्यागी
४. सूक्ष्म
५. आदि
६. सुकर
३.
१. पेड़, द्रुम
२. मेघ, घन
३. आकांक्षा, अभिलाषा
४. कष्ट, पीड़ा
५. भू, भूमि
६. देवलोक, सुरलोक, जन्नत
४.
१. प्रशंसा के योग्य जीवन तो उन लोगों का होगा जो दूसरों के लिए जियेंगे।
२. तुमने छोटों का सदा सम्मान किया।
३. बाज ने मनुष्य की-सी भाषा में उदार हृदय राजा से कहा।
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