मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में भाग "अ " जो भाषा के प्रश्नों से सम्बंधित होता है , उसमें प्रश्न तीन में एक अपठित गद्यांश पूछा जाता है जिसमें पाँच प्रश्न होते हैं और हर प्रश्न के लिए दो अंक होते हैं , कुल अंक दस होते हैं । इसी प्रश्न से सम्बंधित व्याकरण चौथे प्रश्न में पूछा जाता है जिसके लिए आठ अंक होते हैं । यहाँ मैं १९८9 से लेकर २003 तक के अपठित गद्यांश प्रस्तुत कर रही हूँ जो मैंने एकत्रित किए है। मैं कुछ गद्यांशों के प्रश्नों के हल भी प्रस्तुत कर रही हूँ । इसके साथ प्रश्न चार भी यहाँ हल सहित प्रस्तुत है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी।
ANSWERS:
ANSWERS:
Question 3 1989
Read the passage given below carefully and
answer in Hindi the questions that follow using your own laanguage as
far as possible:
नीचे लिखे गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए।उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए-
सत्य और अहिंसा के प्रबल समर्थक एवं पोषक महात्मा
गांधी ने "सर्वशक्तिमानप्राय"
अंग्रेजी साम्राज्य से लोहा लिया।इस युद्ध में गांधी
जी का एक प्रभावी शस्त्र था
"सत्याग्रह"।उस
सुदीर्घ स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी ने कई सत्याग्रहों का सफल नेतृत्व किया था।उनमें
से एक था चम्पारन का सत्याग्रह।
अंग्रेजों ने अपनी सत्ता का पाश्विक प्रयोग करके
वहां के किसानों का भयंकर शोषण करना प्रारंभ किया।वहां के लोग उनके नृशंस अत्याचारों
से बहुत व्याकुल थे।उन पीड़ित लोगों की करुण पुकार और शासकों की क्रूरतापूर्ण चेष्टाओं
का वर्णन सुनकर जननायक गांधीजी वहां गए।गांधीजी उनकी दीन-दशा देखकर उद्गिन
हुए।यथाशक्ति उनकी सहायता का वचन देकर उनको आश्वस्त किया।गांधीजी की उपस्थिति में वहां
के लोगों में जागृति का संचार हुआ और वे भी "मर
मिटने को" तथा शासकों के अन्यायपूर्ण आदेशों का सामूहिक उल्लंघन करने को तैयार हो गए।
अंग्रेज ऐसी दशा के लिए किंचित भी तैयार नहीं थे।उनकी
दृष्टि में लोगों की यह अवज्ञा एक अक्षम्य अपराध था।उन अपराधियों को कठोर दण्ड देना –वह
अपना कर्त्तव्य समझते थे।किन्तु गांधी जैसे नेता की मौजूदगी में ऐसा करना संभव नहीं
था।वे परेशान होने लगे,
और एक क्रूर अंग्रेज अधिकारी ने उनको मार देने की
योजना बनाई।
गांधीजी के एक भक्त अनुयायी ने इनको सावधान करते
हुए सूचना दी कि अमुक अंग्रेज अधिकारी आपका वध करवाने की योजना बना रहा है।उससे सतर्क
रहने और अपनी रक्षा का उचित प्रबन्ध करने का परामर्श दिया।गांधीजी ने उस कृपालु सज्जन
का धन्यवाद करके उनको विदा किया और इस स्थिति का मुकाबला करने का तरीका सोचा।
एक खामोश और अंधेरी रात में गांधीजी उस अधिकारी
के घर चले गए।उससे भेंट की और कहा,"
मैंने सुना है कि आपने मेरा वध करवाने के लिए कुछ
लोगों को तैयार किया है।ऐसा करने की क्या आवश्यकता है? मैं
बिना किसी भय या संकोच के आपके पास आया हूँ।निश्श्स्त्र हूँ और सर्वथा आपके वश में
हूँ।मेरे साथ जो व्यवहार करना चाहें, कीजिए।"
वह अंग्रेज उनकी निर्भीकता देखकर और इतनी स्पष्ट
बात सुनकर लज्जित हुआ और पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा।गांधीजी के इस व्यवहार ने
उसका हृदय-परिवर्तन
कर दिया।
कथा शिक्षाप्रद है।महान व्यक्तियों की महानता का
आधार होता है उनके आचरण की विलक्षणता।असाधारण परिस्थितियों में इनका आचरण जनसाधारण
से सर्वथा भिन्न होता है।न्यायप्रियता, कर्त्तव्यनिष्टा, परदु:खकातरता, जनहितकादृढ़संकल्प, निस्स्वार्थभाव, कथनी
और करनी की एकता आदि गुणों का समावेश इस विलक्षणता में किया जा सकता है।ऐसे महान व्यक्तियों
के सम्मुख जन-जन
नतमस्तक हो जाता है।
१. गांधीजी कहाँ गए और क्यों गए? (४)
२. "सामूहिक उल्लंघन"का
अर्थ समझाइए और बताइए कि कौन यह करने को तैयार हो गए और क्यों? (५)
३. परेशान कौन होने लगे और क्यों? (५)
४. "कृपालु सज्जन", किसके
लिए कहा गया है?गांधीजी
ने उसको धन्यवाद क्यों दिया? (५)
५. लज्जित कौन हुआ, कब
हुआ और क्यों हुआ? (७)
६. अन्तिम परिच्छेद में दिए गए गुणों में से किन्हीं
दो पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए। (४)
Answers:
Answers:
१९८९
१. गांधी जी चम्पारन गए |
अंग्रेजों ने अपनी सत्ता का पाशविक प्रयोग करके वहाँ के किसानों का भयंकर शोषण करना
प्रारम्भ किया | वहाँ के लोग अंग्रेजों के नृशंस अत्याचारों से बहुत व्याकुल थे |
चम्पारन के पीड़ित लोगों की करूण पुकार और अंग्रेजों की क्रूरतापूर्ण चेष्टाओं का
वर्णन सुनकर जननायक गाँधी जी वहाँ गए |
२. “सामूहिक उल्लंघन” का
अर्थ है –समूह के रूप में किसी आज्ञा या आदेश को न मानना | चम्पारन के पीड़ित लोग
सामूहिक उल्लंघन करने को तैयार हो गए क्योंकि गांधी जी उनकी दीन दशा देखकर व्याकुल
हो गए और यथाशक्ति उनकी सहायता करने का वचन दिया | जिस से चम्पारन के लोगों में
जागृति का संचार हुआ और वे भी “मर मिटने को” और अंग्रेजों के अन्यायपूर्ण आदेशों
का सामूहिक उल्लंघन करने को तैयार हो गए |
३. परेशान अंग्रेज होने लगे
क्योंकि वह चम्पारन के लोगों के द्वारा किए गए इस तरह के सामूहिक उल्लंघन के लिए
बिलकुल तैयार न थे | उनके अनुशार लोगों की यह अवज्ञा एक अक्षम्य अपराध था और
उन्हें कठोर दंड देना वह अपना कर्त्तव्य समझते थे पर गांधी जी जैसे नेता की
मौजूदगी में ऐसा करना संभव नहीं था |
४. “कृपालु सज्जन” गांधी जी
के एक भक्त अनुयायी को कहा गया है| गांधी जी ने उसे धन्यवाद दिया क्योंकि उसने
गांधी जी को अमुक अंग्रेज अधिकारी से सावधान रहने की सूचना दी थी क्योंकि वह
अंग्रेज अधिकारी उनका वध कराने की योजना बना रहा था |
५. लज्जित अंग्रेज अधिकारी
हुआ जब एक खामोश और अंधेरी रात में गांधी जी उस अधिकारी के घर उससे मिलने चले गए
और उससे भेंट की क्योंकि भेंट के दौरान गांधी जी ने उस अधिकारी को कहा कि उन्होंने
सूना है कि उसने उनका वध करवाने के लिए कुछ लोगों को तैयार किया है | गांधी जी ने
उसे कहा कि उसे ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है | वे स्वयं बिना किसी भय और संकोच के
उसके पास आए हैं | वे निश्शस्त्र हैं और उसके वश में हैं | वह जैसा उनके साथ
व्यवहार करना चाहता है , कर सकता है | वह अंग्रेज अधिकारी उनकी निर्भीकता उअर
स्पष्ट बात सुनकर लज्जित हुआ |
६. अंतिम परिच्छेद में जो
गुण दिए गए हैं , उनमें से एक गुण है –महान व्यक्तियों की महानता का आधार उनके
आचरण की विलक्षणता होती है | यह सही है क्योंकि असाधारण परिस्थितियों में महान लोग
आम जन से भिन्न आचरण करते हैं तभी उन्हें महान कहा जाता है | जैसे कि गांधी जी
सूचना मिलने पर कि उनके वध की योजना बन रही है , घबराए नहीं बल्कि खुद चलकर उस
अंग्रेज अधिकारी के घर गए और निर्भीकता से उसका सामना कर उसे न केवल लज्जित किया
बल्कि वह अधिकारी उनकी स्पष्टवादिता से प्रभावित हो पश्चाताप की आग में जलने लगा
और उसका ह्रदय परिवर्तन गांधी जी के व्यवहार से हुआ |
दूसरा गुण है –कथनी और
करनी की एकता | जो भी कुछ कहता है , यदि उस पर आचरण करे तो उसे कभी भी किसी कठिनाई
का सामना नहीं करना पड़ता क्योंकि वह लोगों का विश्वास पा लेता है और लोग उसके कहे
पर विश्वास कर उसके लिए अपनी जान तक देने को तैयार रहते हैं | जैसे कि गांधी जी ने
अहिंसा के बारे में केवल बात ही नहीं की बल्कि उसे अपने व्यवहार में भी दिखाया तभी
अनगिनत लोग उनके अनुयायी बने |
Question 4
(a.) Give the meanings of the following
words:
नीचे लिखे शब्दों के अर्थ दीजिए- (३)
१. सुदीर्घ
२. नृशंस
३. अपराथ
४. संभव
५. अनुयायी
६. निश्शस्त्र
(b.) Give the Antonyms of the following
words:
नीचे लिखे शब्दों के विपरीतार्थक दीजिए- (३)
१. शोषण
२. क्रूरता
३. उपस्थिति
४. कठोर
५. सज्जन
६. निर्भीकता
(c.) Rewrite the following sentences with the
new (given) beginning:
दिए गए "आरंभ" से वाक्यों को फिर से लिखिए- (५)
१. वहाँ के लोग उनके नृशंस अत्याचारों से बहुत व्याकुल
थे।
उनके नृशंस अत्याचारों ने..............................
२. उन लोगों की पुकार सुनकर गांधीजी वहाँ गए।
गांधीजी ने.........................................
३. वह अंग्रेज उनकी इतनी स्पष्ट बात सुनकर लज्जित हुआ।
उस अंग्रेज को.........................................
४. उन अपराधियों को कठोर दण्ड देना वे अपना कर्त्तव्य
समझते थे।
वे ऐसा समझते .....................................
५. अंग्रेज अधिकारी आपका वध करवाने की योजना बना रहा
है।
अंग्रेज अधिकारी यह....................................
(d.) Correct the following sentences:
नीचे दिए गए वाक्यों को शुद्ध कीजिए- (४)
१. हम एक लालकिला को जाने वाली बस पर चढ़े।
२. हर एक कर्मचारी अपने विभाग में जाते और अपने काम
संभालते।
३. मैं कोई और दूकान पर जाऊंगा।
४. फिर हम ताजमहल देखे|
ANSWERS:
१.
१. बहुत बड़ा/लम्बा
२. क्रूर/निर्दयी
३. बाप
४. जो हो सके
५. पीछे चलने वाला
६. बिना हथियार के
२.
१. शोषित
२. दयालुता/करूणा
३. अनुपस्थिति
४. कोमल
५. दुर्जन
६. कायरता/भीरुता
२.
१. उनके नृशंस अत्याचारों ने वहाँ के लोगों को व्याकुल कर दिया था।
२. गांधी जी ने उन लोगों की पुकार सुनी और वहाँ गए।
३. उस अंग्रेज को उनकी इतनी स्पष्ट बात सुनकर लज़्ज़ा आई।
४. वे ऐसा समझते थे कि उन अपराधियों को कठोर दण्ड देना उनका कर्त्तव्य है।
५. अंगेज अधिकारी यह योजना बना रहा है कि आपका वध कराया जाए।
४.
१. हम लालकिला जाने वाली एक बस पर चढ़े।
२. हर एक कर्मचारी अपने विभाग में जाता और अपना काम संभालता।
३. मैं किसी और दुकान पर जाऊँगा।
४. फिर हमने ताजमहल देखा।
Question 3 1990
Read the passage given below carefully and
answer in Hindi the questions that follow using your own laanguage as
far as possible:
नीचे लिखे गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए।उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए-
एक दिन महान यशस्वी दार्शनिक कन्फ्यूसिस वन में एकान्त स्थान पर चिन्तन-मनन में लीन बैठे थे।अकस्मात ही सम्राट उधर से गुज़रा।उन्हें इस सर्वथा निश्चिन्त एवं आनन्दमयी मुद्रा में बैठे देखकर कौतूहलवश सम्राट ने उनसे पूछा, "तुम कौन हो?"
"मैं महान सम्राट हूँ", कन्फ्यूसिस ने बड़े आत्म-विश्वास से कहा।
"सम्राट!" सम्राट ने विस्मित होकर कहा," वन में एकान्त स्थान पर एकाकी बैठे हो और अपने आपको सम्राट कहते हो! तुम सम्राट कैसे हुए?"
कन्फ्यूसिस ने प्रत्युत्तर में पूछा,"आप कौन हैं?" सम्राट ने उत्तर देते हुए कहा,"वास्तव में सम्राट मैं हूँ।मेरे पास अनगणित नौकर-चाकर हैं, विशाल अजेय सेना है, अक्षय-धन के कोष हैं, विपुल वैभव है और विस्तृत साम्राज्य है।तुम तो अकेले ही जंगल में बैठे हो और अपने आपको सम्राट कह रहे हो! तुम्हारी यह मान्यता मात्र आत्म-भ्रान्ति ही नहीं तो और क्या है? तुम सम्राट नहीं हो यही निश्चित सत्य है।" प्रतिभा सम्पन्न कन्फ्यूसिस ने बड़े गंभीर तथा संयत स्वर में उत्तर देते हुए कहा,"अनुचरों की आवश्यकता उसे पड़ती है जो आलसी हो, परावलम्बी हो।मैं सतत कर्मण्य रहता हूँ, स्वावलम्बी हूँ।किसी भी कार्य के लिए परमुखापेक्षी नहीं हूँ, अत: मेरे साम्राज्य में नौकरों की आवश्यकता नहीं है।"
"सेना की आवश्यकता उसे होती है जो असुरक्षा की भावना से ग्रसित हो।असुरक्षा का भय उसे होता है जिसके शत्रु हों।शत्रु उसके होते हैं जो स्वहित को परहित एवं जनहित से श्रेयस्कर समझता है और वह अपने इस हित की प्राप्ति के मार्ग में बाधाओं की आशंका से सर्वदा त्रस्त रहता है।मैं इस प्रकार की निकृष्ट कामनाओं और इच्छाओं से पीड़ित नहीं हूँ।अत: सारे संसार में मेरा कोई शत्रु नहीं है इसलिए मेरे साम्राज्य में सैन्यबल की भी आवश्यकता नहीं है।"
"धन और वैभव उसको चाहिए जो निर्धन हो।निर्धन वह है जो अपने मन का स्वामी न होकर विषयो के पीछे भागता है, विषय-लोलुप है।मैं तो आत्म काम और आत्म तृप्त हूँ।इसलिए मेरे साम्राज्य में धन भी वाञ्छनीय नहीं है।"
" अब आप ही बताइए कि असली सम्राट कौन है?" सम्राट कुछ बोला नहीं।उसने लज्जा से अपना सिर झुका लिया।
१. कौतूहल किस को हुआ, कब हुआ और क्यों हुआ? (५)
२. सम्राट विस्मित क्यों हुआ और उसने क्या पूछा? (३)
३. सम्राट ने अपनी और कन्फ्यूसिस की तुलना करते हुए क्या कहा? (५)
४. अनुचरों की अनावश्यकता बताते हुए कन्फ्यूसिस ने क्या कहा? (४)
५. कन्फ्यूसिस के अनुसार सैन्यबल की आवश्यकता किसको होती है और क्यों होती है? (६)
६. किस के साम्राज्य में "धन भी वाञ्छनीय" नहीं है और क्यों? (४)
७. इस कथा से क्या शिक्षा मिलती है? (३)
Answers:
Answers:
Question 4
(a.) Give the meanings of the following
words:
नीचे लिखे शब्दों के सप्रसंग अर्थ हिन्दी में दीजिए- (३)
१. मुद्रा
२. एकाकी
३. अजेय
४. मान्यता
५. संयत
६. निकृष्ट
(b.) Use the Antonyms of any three of the
following words in sentences of your own:
नीचे लिखे शब्दों में से किन्हीं तीन शब्दों के विपरीतार्थक शब्द अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए- (३)
१. निश्चिन्त
२. महान
३. आलसी
४. शत्रु
५. स्वामी
उदाहरण - निर्धन- धनवान – धनवान व्यक्तियों को अपने धन का सदुपयोग करना चाहिए।
(c.) Explain in Hindi the following
sentences:
नीचे दिए गए वाक्यों की व्याख्या कीजिए- (३)
१. सर्वथा निश्चिन्त एवं आनन्दमयी मुद्रा।
२. मैं सतत कर्मण्य रहता हूँ।
३. मेरे साम्राज्य में धन भी वाञ्छनीय नहीं है।
(d.) Change the following sentences as
directed:
सूचना के अनुसार वाक्यों में परिवर्तन कीजिए- (६)
१. कन्फ्यूसिस ने बड़े आत्म-विश्वास से कहा।
("ने" को हटाइए)
२. तुम सम्राट किस प्रकार हुए? (निषेधात्मक वाक्य बनाइए)
३. वास्तव में मैं सम्राट हूँ। ( "वास्तविक" का प्रयोग कीजिए)
४. तुम अपने आपको सम्राट समझ रहे हो। (तुमने यह..... से वाक्य को आरंभ कीजिए।)
५. .......जो असुरक्षा की भावना से ग्रसित हो। (जिसको...... से वाक्य आरम्भ कीजिए।)
६. मेरा कोई शत्रु नहीं। (
"मेरा" के स्थान पर "मैं" का प्रयोग कीजिए।)
ANSWERS:
१.
१. आसन/दशा/अवस्था
२. अकेले
३. जिसे जीता न जा सके
४. मानना/विश्वास
५. नियंत्रित/शांत
६. नीच/घटिया
२.
१. धनवान- धनवान व्यक्तियों को अपने धन का सदुपयोग करना चाहिए ।
२. चिन्त्तित - उसे चिन्तित देखकर मैं परेशान हो गया ।
३. निकृष्ट- निकृष्ट कामनाओं के दास मत बनो।
४. कर्मण्य- कर्मण्य व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल रहते हैं।
५. मित्र- मेरे अनेक मित्र उच्च पदों पर आसीन हैं
६. दास/सेवक- मैं भगवान का दास हूँ।
३.
१. इसमें एक ऐसे व्यक्ति की दशा का वर्णन है जो चिंतित नहीं रहता तथा सदा आनन्दमग्न दशा में दिखाई देता है।
२. कन्फ्यूसिस का कहना है कि वे सदा अपने काम में लगे रहते हैं और कभी निकम्मे नहीं बैठते।
३. कन्फ्यूसिस की स्वयं से इतनी तृप्ति है कि उन्हें किसी भी प्रकार के धन की ज़रूरत ही अनुभव नहीं होती।
४.
१. कन्फ्यूसिस बड़े आत्म-विश्वास से बोले।
२. तुम सम्राट नहीं हो सकते।
३. मैं वास्तविक सम्राट हूँ।
४. तुमने यह समझ लिया है कि तुम्हीं सम्राट हो।
५. जिसको असुरक्षा की भावना ग्रसित किए हो।
६. मैं किसी का शत्रु नहीं हूँ।
Question 3 1991
Read the passage given below carefully and
answer in Hindi the questions that follow using your own laanguage as
far as possible:
नीचे लिखे गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए।उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए-
बड़े होने पर नानकदेव जी ने हिन्दू और इस्लाम दोनों धर्मों की अच्छी-अच्छी बातें चुन लीं।उन्होंने सबको सीधी सरल भाषा में उपदेश देना शुरू किया।उन्होंने विश्वासपूर्वक बताया कि ईश्वर एक है और पृथक-पृथक धर्ममात्र उसे पाने के मार्ग हैं।
उपदेश देने के लिए वे गाँव-गाँव जाते थे और किसी भक्त के यहाँ ठहरते थे।एक बार वे एमनाबाद पहुँचे और अपने भक्त लालू बढ़ई के घर ठहरे।वह बड़े प्रेम से भोजन बनाता और नानकदेव जी को खिलाता।नानकदेव जी दिनभर तो गाँव में उपदेश देते फिरते और रात होने पर लालू के घर आ जाते।
एक दिन एमनाबाद के एक धनी व्यक्ति ने लोगों को भोजन का निमंत्रण दिया।नानकदेव जी के पास भी निमंत्रण पहुँचा।लेकिन वे भोजन करने नहीं गए।इस पर उस धनी को बहुत दु:ख हुआ।उसने बड़े आग्रह से नानकदेव जी को अपने घर पर बुलाया और पूछा," आप बढ़ई के यहाँ साधारण भोजन कर लेते हैं, परन्तु मेरे यहाँ बढ़िया भोजन भी नहीं करते।इसका क्या कारण हो सकता है?"
उसी समय लालू उनके लिए भोजन लेकर वहाँ पहुँचा।नानकदेव जी ने अमीर के घर से एक रोटी मंगवाई।एक हाथ में लालू द्वारा लाई गई रोटी और दूसरे हाथ में अमीर के घर से मंगवाई रोटी लेकर दबाई।देखने वालों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा क्योंकि लालू की रोटी से दूध की बूँदें और अमीर की रोटी से रक्त की बूँदें टपक पड़ीं।नानकदेव जी ने बताया कि धनी की रोटी गरीबों का रक्त चूस-चूस करबनाई हुई है तथा लालू की रोटी सच्चे परिश्रम की कमाई है।
नानकदेव जी ने सबको समझाते हुए कहा," भाइयों, परिश्रम करके सच्ची कमाई करो।द्वेष, निन्दा आदि छोड़कर शुद्ध हृदय से दीन दुखियों की सेवा करो।यही भगवान की सच्ची सेवा है।"
१. नानकदेव जी ने क्या चुना, और उन्होंने लोगों को क्या उपदेश दिया? (५)
२. लालू कौन था? उसके घर कौन ठहरा हुआ था और क्यों? (४)
३. दु:ख किसको हुआ और क्यों हुआ? (४)
४. धनी व्यक्ति ने नानकदेव जी को क्या पूछा और कब पूछा? (५)
५. आश्चर्य किनको हुआ, कब हुआ और क्यों हुआ? (७)
६. भगवान की "सच्ची सेवा" किस को कहा गया है? (५)
Answers:
१.
नानकदेव जी ने हिन्दू और इस्लाम दोनों धर्मों
की अच्छी –अच्छी बातें चुन लीं | उन्होंने लोगों को सीधी सरल भाषा में उपदेश देना
शुरू किया | उन्होंने कहा कि ईश्वर एक है और पृथक –पृथक धर्म मात्र उसे पाने के
मार्ग हैं |
२.
लालू एक बढ़ई था जो नानकदेव जी का एक भक्त था और
वह एमनाबाद में रहता था | उसके घर नानकदेव जी ठहरे क्योंकि वे उपदेश देने के लिए
गाँव –गाँव जाते थे इसलिए एक बार वे उपदेश देने एमनाबाद गए |
३.
दुःख एमनाबाद के एक धनी व्यक्ति को हुआ क्योंकि
उसने लोगों को भोजन का निमंत्रण दिया | नानकदेव जी के पास भी निमंत्रण गया पर वे
उसके घर भोजन करने नहीं गए |
४.
धनी व्यक्ति ने नानकदेव जी को पूछा कि वे बढ़ई
के यहाँ साधारण भोजन तो कर लेते हैं , परन्तु उसके यहाँ बढ़िया भोजन भी नहीं करते
और इस तरह के व्यवहार का क्या कारण है | धनी व्यक्ति ने बड़े आग्रह से नानकदेव जी
को अपने घर बुलाया था जब वह उसके घर भोजन करने उसके द्वारा निमन्त्रण दिए जाने पर
भी नहीं आए थे और उनके उसके साथ इस तरह के व्यवहार का कारण पूछा था |
५.
आश्चर्य देखने वालों
को हुआ जब लालू की रोटी से दूध की बूँदें और अमीर की रोटी से रक्त की बूँदें टपक
पड़ीं | उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि नानकदेव जी ने स्पष्ट किया कि धनी की रोटी
गरीबों का रक्त चूस –चूस कर बनाई हुई है और लाली की रोटी सच्ची परिश्रम की कमाई है
|
६.
भगवान की “ सच्ची
सेवा” है – द्वेष , निंदा आदि छोड़कर शुद्ध ह्रदय से दीन-दुखियों की सेवा करना |
अथवा आपस में लड़ाई –झगड़ा करना और एक –दूसरे की बुराई न कर यदि हम पवित्र मन से
गरीबों और दुखियों की सेवा करेंगे तो इसका तात्पर्य है कि हम भगवान् की सेवा कर
रहे हैं |
Question 4
(a.) Give the meanings of the following
words:
नीचे लिखे शब्दों के अर्थ दीजिए- (अर्थ देते हुए ध्यान रखिए कि वे गद्यांश के प्रयोग के अनुरूप हों) (३)
१. उपदेश
२. पृथक
३. निमन्त्रण
४. आग्रह
५. पीड़ित
६. द्वेष
(b.) Give the Antonyms of the following
words: (Do not give more than one word).
नीचे लिखे शब्दो के विपरीतार्थक दीजिए। (एक से अधिक शब्द मत दीजिए) (३)
१. सरल
२. एक
३. पास
४. अमीर
५. निन्दा
६. दु:खी
(c.) Give the Synonyms of any four of the
following words. (Give two Synonyms of each word)
ग. नीचे लिखे शब्दों के पर्यायवाची दीजिए।प्रत्येक शब्द के दो-दो पर्यायवाची दीजिए- (४)
१. मार्ग
२. रात
३. धनी
४. आश्चर्य
५. रक्त
६. शुद्ध
(d.) Do as directed:
सूचना के अनुसार वाक्यों को बदलिए- (५)
१. वह बड़े प्रेम से भोजन बनाता। (उसने......का प्रयोग कीजिए)
२. उन्होंने उपदेश देना शुरू किया।
("वे" का प्रयोग करें)
३. इसका क्या कारण हो सकता है।
("कारण" के स्थान पर "वजह" का प्रयोग करें)
४. उन्होंने हाथ में रोटी दबाई। (रोटी को...........से वाक्य शुरू करें)
५. यही भगवान की सच्ची सेवा है। (इसी........से वाक्य शुरू करें)
ANSWERS:
ANSWERS:
१.
१. सीख/शिक्षा
२. अलग
३. आमंत्रण/बुलावा/न्यौता
४. विनती भरी प्रार्थना ५. ग्रसित/पीड़ा या दर्द से युक्त
६. नफरत
२.
१. कठिनता २. अनेक
३. दूर
४. गरीब
५. प्रशंसा ६. सुखी
३.
१. पथ, राह, रास्ता २. रात्रि, निशा, रजनी
३. अमीर, धनवान, धनाढ्य
४. चकित, अचरज, हैरान
५. खून, लहू, रुधिर
६. पाक, पवित्र, स्वच्छ, साफ
४.
१. उसने बड़े प्रेम से भोजन बनाया।
२. वे उपदेश देन लगे।
३. इसकी क्या वजह हो सकती है?
४. उन्होंने रोटी को हाथ से दबाया।
५. इसी को भगवान की सच्ची सेवा कहते हैं।
Question 3 1992
Read the passage given below carefully and
answer in Hindi the questions that follow using your own laanguage as
far as possible:
नीचे लिखे गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और उसके नीचे
लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए।उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने
चाहिए-
एक दिन महात्मा बुद्ध एक वृक्ष के नीचे बैठे विश्राम
कर रहे थे।तभी, अकस्मात
ही, एक
डाकू वहाँ आया, और
महात्माबुद्ध को मारने के लिए उद्यत हुआ।
महात्माबुद्ध शान्तचित्त से, निर्विकार
भाव से, मुस्कराते
हुए बोले," तुम मुझे मारना चाहते हो? अवश्य
मारो! परन्तु
मुझे मारने से पूर्व यदि मेरी एक इच्छा पूरी कर दो, तो
तुम्हारा मुझ पर महान उपकार होगा।"
"क्या काम है?" डाकू ने पूछा।
भगवान बुद्ध ने कहा," मित्र, मरने
वाले की अन्तिम इच्छा पूरा करना बड़े पुण्य का काम है।सामने जो वृक्ष दिखाई दे रहा है, उसकी
एक शाखा काट कर मुझे ला दो।"
डाकू मन ही मन महात्मा बुद्ध पर हँसा-पागल
है।पेड़ की टहनी भी कोई माँगने की वस्तु है! प्राण
दान भी तो माँगा जा सकता था।
डाकू ने अपने खड्ग से उस वृक्ष की एक शाखा काटकर
महात्माबुद्ध को दे दी।
टहनी को अपने हाथ में लेकर भगवानबुद्ध ने कहा," मित्र,
तुमने मेरा आधा कार्य तो सम्पन्न कर दिया, बाकी
आधा भी कर दो तो महती कृपा होगी।इस शाखा को वापिस उसी स्थान पर जोड़ दो जहाँ से इसे
काटकर लाए हो।"
डाकू यह सुनकर क्रुद्ध हो गया।अपने तिरस्कार, अवज्ञा
और अवेहलना के भाव को मुखरित करते हुए बोला," तुम
तो निपट मूर्ख हो।काटी हुई शाखा को जोड़ना संभव नहीं है।असंभव भी कभी संभव हो सकता है? यह
अब वापिस जोड़ी नहीं जा सकती।कुछ और मांग लो।"
डाकू के व्यंग्य और खीजभरे उद्गारों से महात्माबुद्ध
तनिक भी विचलित नहीं हुए।शान्त एवं गम्भीर स्वर में बोले," मुझे
और कुछ नहीं चाहिए।परन्तु इस तथ्य को समझ लो कि जो तोड़ता है वह कमज़ोर है और जो जोड़ता
है वह शक्तिशाली है।जिस काम के लिए आए हो वह करो।अब तुम मुझे मार सकते हो।"
डाकू सोच में पड़ गया-मैंने तो कितने
ही लोगों को काट डाला है।अपनी तलवार की तीक्ष्ण धार से कितने ही लोगों को शाश्वत नींद
में सुला चुका हूँ।जोड़ तो मैं किसी को भी नहीं सकता।उनमें से किसी को भी पुनर्जीवित
नहीं कर सकता।
उसका हृदय-परिवर्तन हो गया।उसको
अपने कुकृत्यों पर पश्चाताप होने लगा।वह भगवान बुद्ध के चरणों पर गिर पड़ा।
भगवान बुद्ध ने उस कातर प्राणी को सस्नेह उठाया
और कहा,"जाओ, आज
से जोड़ो और जीवन का आनन्द उठाओ।यही मानवता है।"
१. महात्मा बुद्ध ने डाकू को क्या कहा, कब
कहा और क्यों कहा? (६)
२. "पागल है" किसने, किसके
बारे में सोचा और क्यों? (३)
३. डाकू को किसने "क्रुद्ध" किया और कैसे? (४)
४. डाकू ने "निपट
मूर्ख" किसको कहा और क्यों? (५)
५. डाकू सोच में क्यों पड़ गया? (३)
६. डाकू को पश्चात्ताप क्यों हुआ और उसने क्या किया? (४)
७. गद्यांश के आधार पर "मानवता" की व्याख्या, कम से कम, पचास (५०) शब्दों
में कीजिए। (५)
Answers:
Answers:
१.
महात्मा बुद्ध ने डाकू से शांत चित्त और
निर्विकार भाव से कहा कि यदि वह उन्हें मारना चाहता है तो वह अवश्य मारे | परन्तु
उन्हें मारने से पूर्व यदि वह उनकी एक इच्छा पूरी कर दे तो वह उन पर उसका महान
उपकार होगा | यह बात उन्होंने डाकू से तब कही जब वह एक दिन एक वृक्ष के नीचे बैठे
विश्राम कर रहे थे | यह बात उन्होंने उसे कही क्योंकि डाकू उन्हें मारने के लिए
उद्यत हुआ था |
२.
“पागल है” डाकू ने बुद्ध के बारे में सोचा
क्योंकि बुद्ध ने उसे मरने से पहले अपनी इच्छा बताई थी और वह इच्छा थी कि वह डाकू
सामने दिखाई देने वाले वृक्ष की टहनी की एक शाखा काट कर उन्हें ला दे | बुद्ध की यह
अंतिम इच्छा जानकार डाकू मन ही मन हँसा और उन्हें पागल कहा क्योंकि उसे लगा कि पेड़
की टहनी भी कोई माँगने की वस्तु है , इसके बजाए प्राणदान भी तो माँगा जा सकता था |
३.
डाकू को बुद्ध ने क्रुद्ध किया क्योंकि डाकू
द्वारा लाई गई वृक्ष की कटी शाखा को अपने हाथ में लेकर बुद्ध ने कहा कि उसने उनका
आधा काम तो सम्पन्न कर दिया पर यदि वह बाकी का आधा काम भी पूरा कर दे तो उसकी महती
कृपा होगी| वह आधा काम था कि डाकू को उस कटी शाखा को वापिस उसी स्थान पर जोड़ना था
जहाँ से वह काट कर लाया था |
४.
डाकू ने “निपट मूर्ख” बुद्ध को कहा क्योंकि
बुद्ध ने उसे काटी हुई शाखा को वापिस उसी स्थान पर जोड़ ने को कहा जहाँ से वह उसे
काट कर लाया था | डाकू का कहना था कि काटी हुई शाखा को जोड़ना संभव नहीं है |
असम्भव भी कभी संभव हो सकता है | काटी हुई शाखा अब वापिस जोड़ी नहीं जा सकती |
इसलिए उसने भगवान् बुद्ध से और कुछ माँगने को कहा |
५.
डाकू सोच में पड़ गया क्योंकि डाकू के व्यंग्य
और खीज भरे उद्गारों से भी बुद्ध विचलित नहीं हुए और उन्होंने बड़े शांत और गम्भीर
स्वर में उसे कहा कि उन्हें और कुछ नहीं चाहिए | परन्तु वह यह तथ्य अच्छी तरह से
समझ ले कि जो तोड़ता है, वह कमज़ोर है और जो जोड़ता है वह शाक्तिशाली है | जिस काम के
लिए वह यहाँ आया है , वह उसे करे | अब वह उन्हें मार सकता है | डाकू सोच रहा था
क्योंकि उसने बहुत से लोगों को काट डाला था और उन्हें शाश्वत नींद सुला चुका था पर
वह किसी को भी अब जोड़ नहीं सकता था और न उन्हें पुनर्जीवित कर सकता था |
६.
डाकू ने जब बुद्ध की इस बात पर विचार किया कि
जो तोड़ता है, वह वह कमज़ोर है और जो जोड़ता है वह शाक्तिशाली है | उसे लगा कि उसने
तो बहुत से लोगों को अपनी तलवार की तीक्ष्ण धार से शाश्वत नींद सुला दिया था और अब
वह उनमें से किसी को भी पुनर्जीवित नहीं कर सकता | यह सोचकर उसे पश्चाताप हुआ और
उसे अपने कुकृत्यों पर पश्चाताप हुआ | वह तुरंत अपनी गलती समझ भगवान् बुद्ध के
चरणों पर गिर पड़ा |
७.
गद्यांश के आधार पर मानवता है कि हमें किसी भी
वस्तु को तोड़ना अथवा काटना नहीं चाहिए क्योंकि जो वस्तु हम जोड़ नहीं सकते उसे
तोड़ने और काटने का हक भी हमें नहीं है | इसलिए मानव वही है जो वस्तुओं को जोड़े और
सम्बन्धों को जोड़े | लोगों को मिलाए और उनमें एकता का भाव लाए | इस तरह की
विचारधारा वाला व्यक्ति ही जीवन का सच्चा आनन्द ले सकता है |
Question 4
(a.) Give the meanings of the following
words:
नीचे लिखे शब्दों के सप्रसंग अर्थ हिन्दी में दीजिए- (३)
१. उद्यत 2. पूर्व
3. पुण्य
४. महती ५. निपट ६.
तथ्य
७. तीक्ष्ण ८. शाश्वत ९. सस्नेह
(b.) Give the Antonyms of the following
words: (Do not give more than one word)
नीचे लिखे शब्दों के विपरीतार्थक दीजिए ( एक-एक
शब्द से अधिक शब्द न दीजिए) (३)
१. इच्छा २. उपकार
३. अन्तिम ४. तिरस्कार
५. कुकृत्य ६. जीवन
(c.) Rewrite the following sentences
substituting the synonyms of the words underlined. (Do not make any other
change.)
रेखांकित शब्दों के स्थान पर उनके पर्यायवाची देकर
वाक्यों को फिर से लिखिए। (कोई
और परिवर्तन न कीजिए) (२)
१. महात्मा बुद्ध एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे
थे।
२. मेरी एक इच्छा पूरी कर दो।
३. तुम्हारा महान उपकार होगा।
४. तुमने मेरा आधा कार्य तो सम्पन्न कर दिया।
५. डाकू क्रुद्ध हो गया।
६. भगवान बुद्ध ने उस कातर प्राणी को सस्नेह उठाया।
(d.) Explain in HINDI the following
sentences:
नीचे लिखे वाक्यों की व्याख्या हिन्दी में
कीजिए - (३)
१. अपने तिरस्कार, अवज्ञा
और अवेहलना के भाव को मुखरित करते हुए वह बोला।
२. डाकू के व्यंग्य और खीज भरे उद्गारों से महात्मा
बुद्ध तनिक भी विचलित नहीं हुए।
३. उसका हृदय परिवर्तन हो गया।
(e.) Correct the following sentences:
नीचे लिखे शब्दों को शुद्ध कीजिए- (४)
१.उसने उधर देखा और बोला।
२. मेरा तो प्राण ही सूख गया।
३. मैंने कुछ आटा, नमक
और दाल खरीदा।
४. एक फूल की माला लाओ।
ANSWERS:
१.
१. तैयार २. पहले ३. पवित्र काम ४. बड़ी/विशाल ५. केवल/नितांत/बिल्कुल ६. प्रमाण/सत्य ७. तेज़ ८. सनातन ९. प्रेम सहित
२.
१. अनिच्छा २. अपकार ३. प्रथम ४. इनाम ५. सुकृत्य ६. मृत्यु
३.
१. महात्मा बुद्ध एक पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे।
२. मेरी एक कामना/चाह पूरी कर दो।
३. तुम्हार बड़ा भला होगा
४. तुमने तो मेरा कार्य पूरा कर दिया।
५. डाकू क्रोधित हो गया।
६. भगवान बुद्ध ने उस डरे हुए/भीत प्राणी को सस्नेह उठाया।
४.
१. उसने अपने अपमान से भरे और आज्ञा न मानने वाले भाव दिखाने के साथ-साथ बड़ी उपेक्षा के साथ कहा।
२. डाकू के ताने और चिड़चिड़ाहट से भरे भावों से महात्मा बुद्ध थोड़े-आ भी व्याकुल न हुए, शान्त रहे।
३. दिल बदल चुका था/उसके दिल में बदलाव आ गया था।
५.
१. उसने उधर देखकर कहा।
२. मेरे तो प्राण ही सूख गए।
३. मैंने कुछ आटा, नमक और दाल खरीदी है।
४. फूलों की एक माला लाओ।
Question 3 1994
Read the passage given below carefully and
answer in Hindi the questions that follow using your own laanguage as
far as possible:
नीचे लिखे गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और उसके नीचे
लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए।उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने
चाहिए-
किसी भी जाति की सभ्यता और संस्कृति का परिचय हमें
उसकी लोककलाओं और लोकजीवन में मिलता है।मध्य हिमालय का गढ़वाल तथा कुमाऊँक्षेत्र जिसे
हम "उत्तराखण्ड" के नाम से जानते हैं
, प्राकृतिक वैभव के साथ ही भारतीय संस्कृति की कई
प्राचीनताओं को भी अपने आँचल में समेटे है।लेकिन इधर कुछ वर्षों में पहाड़ का चेहरा
बड़ी तेज़ी से बदलने के कारण उसके इस रूप में भी बदलाव आया है।
पहाड़ के गाँव कभी अपनी विविध लोककलाओं- काष्ठकला, आभूषण-निर्माणकला, वाद्यकला, भित्तिचित्रकला, चित्रकारी, मेले, लोकोत्सव
और नृत्य आदि के लिए जाने जाते थे,
लेकिन बदलाव की हवा ने अब उन्हें भी अपने रंग में
रंगना शुरू कर दिया है।परिवर्तन की इस लहर ने यहाँ की लोककलाओं को ही नहीं, बल्कि
भवन निर्माण शैली को सबसे अधिक प्रभावित किया है।चीड़, देवदार
के पेड़ों के बीच बने पक्के मकानों को देखकर सहज ही विश्वास नहीं होता कि ये वही पहाड़
हैं, जहाँ
कभी मिट्टी, पत्थर
और लकड़ी के छोटे-छोटे कलात्मक घर हुआ करते थे।
आधुनिकता के नाम पर बदलाव का यह सिलसिला चन्द गाँवों
या शहरों तक ही सीमित नहीं रहा,
बल्कि सुदूर क्षेत्रों में भी पहुँच चुका है।वहाँ
भी सीमेंट, कंकरीट
के आधुनिक मकान दिखाई देने लगे हैं।यहाँ के पुराने मकानों को गौर से देखे तो इनमें
कच्चे माल के रूप में उन्हीं वस्तुओं का उपयोग होता था, जो
यहाँ आसानी से उपलब्ध थे।ईंट के स्थान पर पत्थरों को अलग-अलग आकारों में
काट-छाँटकर
एक के ऊपर एक रखकर चिना जाता था।दो पत्थरों के बीच सीमेंट का कोई उपयोग नहीं होता था।बीच-बीच
में साल, सागौन, देवदार, चीड़
या दूसरी उपलब्ध लकड़ी के स्लीपर डाले जाते थे।दरवाजे और खिडकियों में भी स्थानीय लकड़ी
का भरपूर सदुपयोग किया जाता था।कुछ घरों में पशुओं के लिए नीचे व्यवस्था की जाती थी, जिसे "सन्नी" या "गोठ" कहा जाता था।परिवार पहली मंज़िल पर रहता था।पारम्परिक मकानों के ऊपर की मंज़िल पर
एक खुला आँगन जिसे "तिबारी" या "खुटकूण" कहा जाता था, अवश्य निकाला जाता था जो एक तरह से बैठक का भी काम
करता था।दिन भर के काम से निपटने के बाद यहीं बैठकर पूरा परिवार हँसी-खुशी
से बातें करता था।आज नये आधुनिक शैली के मकानों में यह परम्परा बड़ी तेज़ी से लुप्त हो
रही है।मकानों के दरवाज़ों,
खिड़कियों और छज्जों पर जो बारीक काष्ठकला का काम
होता था वह भी अब लुप्त प्राय है।यह परिवर्तन न तो यकायक आया है और न ही ज़रूरतों की
उपज है।बल्कि यह तथाकथित आधुनिकता के अन्धानुकरण का ही उदाहरण है।
१. किसी भी जाति की सभ्यता और संस्कृति का परिचय हमें
किससे प्राप्त होता है और किस प्रकार? समझाकर लिखिए। (४)
२. हिमालय के मध्यक्षेत्र को किस नाम से जाना जाता
है? इस
क्षेत्र की क्या विशेषताएँ हैं? (३)
३. यह क्षेत्र पहले किस बात के लिए जाने जाते थे? इस
समय इन की क्या स्थिति है? (६)
४. आधुनिक परिवर्तन ने लोककलाओं के अलावा किसको सबसे
अधिक प्रभावित किया है और कैसे?
यह प्रभाव कहाँ तक पहुँचा है? (४)
५. इस परिवर्तन से पहले पहाड़ों में मकानों का निर्माण
किस प्रकार होता था ? (४)
६. "सन्नी" तथा "खुटकूण" किसे कहते हैं और इनका उपयोग किसलिए किया जाता था? (४)
७. इस परिवर्तन का मुख्य कारण क्या है? आपके
विचार से परिवर्तन उचित है या अनुचित? अपने विचार लिखिए। (५)
ANSWERS:
ANSWERS:
Question 4
(a.) Give the meanings of the following
words:
नीचे लिखे शब्दों के अर्थ लिखिए (अर्थ
देते हुए ध्यान रखिए कि वे गद्यांश में प्रयोग के अनुरूप हों- (३)
१. वैभव
२. भरपूर
३. व्यवस्था
४. लुप्तप्राय
५. यकायक
६. अन्धानुकरण
(b.) Give the Antonyms of the following
words:
नीचे लिखे शब्दों के विपरीतार्थक दीजिए (एक
से अधिक शब्द मत दीजिए)- (३)
१. प्राचीनता
२. निर्माण
३. सीमित
४. उपलब्ध
५. सदुपयोग
६. खुशी
(c.) Use the following in sentences of your
own:
निम्नलिखित अंशों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए- (५)
१. आँचल में समेटे है।
२. रंग में रंगना
३. बदलाव का सिलसिला
४. काट-छाँटकर
५. हँसी-खुशी
(d.) Rewrite the following sentences with the
new beginnings given after each:
नीचे लिखे वाक्यों को दिए गए "आरम्भों" से शुरू करके फिर से लिखिए- (४)
१. पहाड़ के गाँव कभी अपनी लोक कलाओं के लिए जाने जाते
थे। (अपनी..........)
२. परिवर्तन की इस लहर ने भवन-निर्माण
शैली को भी प्रभावित किया है।
(भवन-निर्माण शैली भी......)
३. वहाँ भी सीमेंट कंक्रीट के आधुनिक मकान दिखाई देने
लगे हैं। (आधुनिक मकान.......)
४. कुछ घरों में पशुओं के लिए नीचे व्यवस्था की जाती
है। (पशुओं की.......)
१.
१. महिमा
२. परिपूर्ण
३. प्रबन्ध
४. छिपा हुआ/अदृश्य
५. अचानक
६. बिना विचारे अनुकरण करना
२.
१. आधुनिकता, नवीनता
२. ध्वंस
३. असीमित
४. अनुपलब्ध
५. दुरुपयोग
६. दु:ख
३.
१. काश्मीर प्राकृतिक सुन्दरता को अपने आँचल में समेटे हुए है।
२. पाश्चात्य सभ्यता धीरे-धीरे भारतीय युवकों को अपने रंग में रंग रही है।
३. भारतीय गाँवों का शहरीकरण हो रहा है। यह बदलाव का सिलसिला स्वतन्त्रता के बाद से शुरू हुआ।
४. मैंने एक पत्रिका में प्रकाशन के लिए एक कहानी भेजी थी। कहानी छप तो गई लेकिन सम्पादक ने काट-छाँट कर उसे बहुत छोटा कर दिया।
५. प्रदर्शनी के बाद हम लोग हँसी-खुशी अपने घर चले आए।
४.
१. अपनी लोक कलाओं के लिए कभी पहाड़ के गाँव जाने जाते थे।
२. भवन निर्माण शैली भी परिवर्तन की इस लहर से प्रभावित हुई है।
३. आधुनिक मकान वहाँ भी सीमेण्ट कंक्रीट के दिखाई देने लगे हैं।
४. पशुओं के लिए कुछ घरों में नीचे व्यवस्था की जाती है।
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ReplyDeleteThanks
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